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लालू को व्हीलचेयर पर लेकर कोर्ट पहुंचीं राबड़ी और मीसा:लैंड फॉर जॉब्स स्कैम में सुनवाई थोड़ी देर में, हेल्थ ग्राउंड पर मांगेंगे जमानत

रेलवे में लैंड फॉर जॉब्स यानी जमीन के बदले नौकरी देने के कथित भ्रष्टाचार के केस में RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में थोड़ी देर में पेशी होगी। लालू को व्हीलचेयर पर लेकर पत्नी राबड़ी देवी और बेटी राज्यसभा सांसद मीसा भारती कोर्ट के अंदर पहुंच चुकी हैं। इस दौरान उन्होंने मीडिया से दूरी बनाए रखी। कोर्ट ने 27 फरवरी को लालू की पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती समेत 14 अन्य आरोपियों को समन जारी किया था।

समन जारी होने से पहले CBI लालू से दिल्ली में और राबड़ी से पटना में पूछताछ कर चुकी है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, लालू हेल्थ ग्राउंड पर अपनी जमानत बरकरार रखने की मांग कर सकते हैं। CBI की ओर से 5 महीने पहले इस केस में चार्जशीट दाखिल की गई थी।

बता दें कि साल 2004 से 2009 के दौरान रेल मंत्री रहते हुए लालू यादव और उनके परिवार के सदस्यों पर रेलवे में नौकरी के बदले लोगों से जमीन लेने का आरोप है। लालू परिवार को ये जमीन उपहार में दी गई या कम कीमत पर बेच दी गई। CBI का आरोप है कि रेलवे की ग्रुप-डी भर्ती में नियम-कानून ताक पर रखकर नियुक्तियां की गईं थीं।

अपडेट्स

  • लालू, राबड़ी और मीसा तीनों मास्क लगाकार कोर्ट पहुंचे।
  • तीनों कोर्ट के अंदर एक बैंच पर बैठे हुए हैं।

चार्जशीट में रेलवे के कई अधिकारियों के नाम, जमीन के डॉक्यूमेंट भी गलत
स्पेशल कोर्ट में दायर चार्जशीट में CBI ने बताया, ‘जांच में सेंट्रल रेलवे के कई अधिकारियों का भी नाम सामने आया है। इसमें जीएम और सीपीओ स्तर के अधिकारी भी शामिल हैं। इन लोगों ने जॉब के बदले फर्जी तरीके से अपने करीबियों के नाम पर जमीन की रजिस्ट्री करवाई है। रजिस्ट्री भी सर्कल रेट से कम कीमत में कराई गई और जमीन औने-पौने दाम में अधिकारियों के नाम कर दी गई।

चार्जशीट के मुताबिक जमीन के बदले नौकरी पाने वाले कर्मचारियों के डॉक्यूमेंट भी सही नहीं पाए गए हैं। उनके कई कागजात फर्जी हैं। यहां तक की डॉक्यूमेंट में शामिल उनके टीसी भी गलत तरीके से सर्टिफाइड कराए गए हैं। रेलवे में इसी गलत सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी दे दी गई है।

7 डील में जानिए लैंड फॉर जॉब डील का पूरा खेल
डील 1:
CBI ने अपनी शुरुआती जांच में पाया कि 6 फरवरी 2008 को पटना के किशुन देव राय ने अपनी जमीन काफी कम कीमत पर राबड़ी देवी के नाम कर दी। यानी 3,375 वर्ग फीट जमीन सिर्फ 3.75 लाख रुपए में राबड़ी देवी काे बेच दी। साथ ही इसी साल परिवार के 3 मेंबर्स राज कुमार सिंह, मिथिलेश कुमार और अजय कुमार को मध्य रेलवे मुंबई में ग्रुप डी के पद पर नौकरी मिल गई।

डील 2:फरवरी 2008 में पटना के महुआबाग के संजय राय ने भी सिर्फ 3.75 लाख रुपए में 3,375 वर्ग फीट जमीन राबड़ी देवी को बेच दी। CBI ने अपनी जांच में पाया कि संजय राय के अलावा परिवार के 2 अन्य मेंबर्स को रेलवे में नौकरी मिल गई।

डील 3: पटना की रहने वाली किरण देवी ने नवंबर 2007 में सिर्फ 3.70 लाख रुपए में अपनी 80,905 वर्ग फीट जमीन लालू यादव की बेटी मीसा भारती को बेच दी। इसके बाद 2008 में सेंट्रल रेलवे मुंबई में किरण देवी के बेटे अभिषेक कुमार को नौकरी मिल गई।

डील 4: फरवरी 2007 में पटना निवासी हजारी राय ने अपनी 9,527 स्क्वायर फीट जमीन दिल्ली की कंपनी एके इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को 10.83 लाख रुपए में बेच दी। बाद में हजारी राय के 2 भतीजों दिलचंद कुमार और प्रेम चंद कुमार को वेस्ट-सेंट्रल रेलवे जबलपुर और साउथ-ईस्टर्न रेलवे कोलकाता में नौकरी मिल गई।

CBI ने पाया कि एके इंफोसिस्टम के सभी अधिकार और संपत्ति साल 2014 में लालू प्रसाद यादव की बेटी और पत्नी को दे दिए गए थे। राबड़ी देवी ने 2014 में कंपनी के ज्यादातर शेयर खरीद लिए और बाद में कंपनी की डायरेक्टर बन गईं।

डील 5: पटना निवासी लाल बाबू राय ने मई 2015 में मात्र 13 लाख रुपए में अपनी 1,360 वर्ग फीट की जमीन राबड़ी देवी के नाम कर दी। CBI ने जांच की तो पता चला कि लाल बाबू राय के बेटे लाल चंद कुमार को 2006 में नॉर्थ-वेस्टर्न रेलवे जयपुर में नौकरी मिली थी।

डील 6: बृज नंदन राय ने मार्च 2008 में अपनी 3,375 वर्ग फुट जमीन गोपालगंज निवासी हृदयानंद चौधरी को 4.21 लाख रुपए में बेच दी। हृदयानंद चौधरी को साल 2005 में ईस्ट-सेंट्रल रेलवे हाजीपुर में नौकरी मिल गई। 2014 में हृदयानंद चौधरी ने गिफ्ट डीड के जरिए इस जमीन को लालू प्रसाद यादव की बेटी हेमा को ट्रांसफर कर दिया।

CBI ने जांच की तो पाया कि हृदयानंद चौधरी और लालू प्रसाद यादव दूर के भी रिश्तेदार नहीं हैं। साथ ही जिस जमीन को गिफ्ट के रूप में दिया गया, उस वक्त सर्कल रेट के अनुसार उसका मूल्य 62 लाख रुपए था।

डील 7: विशुन देव राय ने मार्च 2008 में अपनी 3,375 वर्ग फीट की जमीन सीवान निवासी ललन चौधरी को दे दी। ललन के पोते पिंटू कुमार की साल 2008 में वेस्टर्न रेलवे मुंबई में नौकरी लग गई। इसके बाद ललन चौधरी ने फरवरी 2014 में इस जमीन को हेमा यादव को दे दिया।

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