इंदौर के शैल्बी अस्पताल में 19 साल की युवती की किडनी ट्रांसप्लांट की गई। यह किडनी भोपाल की 61 वर्षीय ब्रेन डेथ महिला द्वारा डोनेट की गई है। इसे बुधवार सुबह ग्रीन कॉरिडोर बनाकर इंदौर लाया गया। ये ग्रीन कॉरिडोर भोपाल के बंसल अस्पताल से इंदौर के शैल्बी अस्पताल तक बना था।
परिवार के लोगों को लंबे समय से था दानदाता का इंतजार
शैल्बी अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेट डॉ. विवेक जोशी का कहना है कि ’19 साल की युवती 2012 से किडनी की बीमारी से ग्रसित थी। लगातार उसकी डायलिसिस होती थी। परिवार का ल्यूकोसाइट एंटीजन (एचएलए) मिलान नहीं होने की वजह से किडनी का ट्रांसप्लांट नहीं हो पा रहा था।
परिवार के लोगों को उम्मीद थी कि कोई ऑर्गन डोनेशन करेगा तो किडनी मिल सकती है। भोपाल के बंसल अस्पताल में ऑर्गन डोनेशन के बारे में जब पता चला तो इस युवती के लिए आवेदन किया जो एक्सेप्ट हो गया। लगभग सवा 8 बजे किडनी मिली। यहां डॉक्टरों की टीम पहले से तैयार थी। युवती का पूरा प्री-चैकअप किया गया। इसके बाद किडनी ट्रांसप्लांट की गई’।
ये था 49 वां ग्रीन कॉरिडोर
इधर, मुस्कान ग्रुप पारमार्थिक ट्रस्ट और इंदौर सोसायटी फॉर आर्गन डोनेशन के जीतू बगानी ने बताया कि ये 49वां ग्रीन कॉरिडोर था। जो भोपाल से इंदौर के शैल्बी अस्पताल पहुंचा। 61 साल की ब्रेन डेथ महिला का ऑर्गन 19 साल की युवती को ट्रांसप्लांट किया गया है।
युवती 2012 से किडनी की परेशानी से जूझ रही थी। हफ्ते में 2 बार उसका डायलिसिस कराना पड़ता था। उसका आवेदन लम्बे समय से वेटिंग लिस्ट में था। ब्रेन डेथ महिला की दोनों किडनी, लीवर, आंखें दान हुई है। इंदौर में सिर्फ किडनी आई है। लीवर और आंखें भोपाल में ही है।
अंगदान में इंदौर आगे, 8 साल में 1022
पिछले 8 साल में इंदौर से 1022 ऑर्गन डोनेट किए जा चुके हैं। 2015 से सिलसिला शुरू हुआ था। कई शहरों में भी इंदौर से ऑर्गन भेजे जा चुके हैं। पहले ऑर्गन ट्रांसप्लांट सिर्फ एक अस्पताल में होता था, अब संख्या बढ़कर 19 हो गई है।