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ओडिशा ट्रेन हादसा-अब तक 100 शवों की पहचान नहीं:अस्पताल में अभी 200 भर्ती, घायलों से मिलने भुवनेश्वर जा सकती हैं ममता, CBI जांच शुरू

ओडिशा ट्रेन हादसे की CBI ने जांच शुरु कर दी है। CBI टीम ने सोमवार शाम को घटनास्थल का दौरा किया। उधर, हादसे में मरने वाले 278 लोगों में से 101 शवों की पहचान नहीं हो पाई है।

DRM भुवनेश्वर रिंकेश रॉय ने मंगलवार को बताया कि घायल 1100 लोगों में से 900 को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई। राज्य के विभिन्न अस्पतालों में करीब 200 लोगों का इलाज चल रहा है।

रेलवे ने दुर्घटना में प्रभावित लोगों के परिवारों की मदद के लिए ओडिशा सरकार के साथ मिलकर ऑनलाइन लिंक rcodisha.nic.in, www.bmc.gov.in जारी किए हैं।

इनमें मृतकों की तस्वीरें और तमाम अस्पतालों में भर्ती यात्रियों की लिस्ट दी गई है। BMC की ओर से जारी हेल्पलाइन नंबर 1929 पर अब तक 200 से ज्यादा फोन आ चुके हैं। शवों की पहचान कर उन्हें परिजनों को सौंपा जा रहा है।

रेलवे ने सिस्टम सुधार का आदेश दिया
आने वाले समय में बालासोर जैसे हादसे न हो, इसके लिए रेलवे ने सिस्टम सुधारने का आदेश दे दिया है। सिग्नलिंग से लेकर लॉकिंग सिस्टम की जांच की जाएगी। वहीं, स्टेशन मास्टर और कंट्रोल रूम सेंटर में लगे सभी उपकरणों का रिव्यू किया जाएगा।

यह तस्वीर पांच जून की है। बहानगा बाजार रेलवे स्टेशन के पास ट्रेन सेवा फिर से शुरू होने के बाद स्टेशन मास्टर के रूम में निगरानी करते रेलवे अधिकारी।
यह तस्वीर पांच जून की है। बहानगा बाजार रेलवे स्टेशन के पास ट्रेन सेवा फिर से शुरू होने के बाद स्टेशन मास्टर के रूम में निगरानी करते रेलवे अधिकारी।

रेलवे ने सुधार के लिए 3 कदम उठाए

  • देशभर में सिग्नलिंग और डबल लॉकिंग सिस्टम की जांच: ट्रिपल ट्रेन हादसे के तीन दिन बाद रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने बहानगा बाजार स्टेशन के सिग्नल रूम और कंट्रोल रूम का दौरा किया। साथ ही स्टेशन के प्रभारी सहायक स्टेशन प्रबंधक से पूछताछ की। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि रेल मंत्रालय ने देशभर के रेलवे स्टेशन पर सिग्नलिंग सिस्टम और ‘डबल लॉकिंग’ सिस्टम की सुरक्षा जांच करने का आदेश जारी किया है। इसके तहत एक हफ्ते तक अभियान चलाया जाएगा।
  • रिले रूम में हर किसी को नहीं मिलेगी एंट्री: रिले रूम में एंट्री को लेकर सख्ती और सावधानी बरतने के आदेश भी दिए गए। अभियान में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जब भी स्टेशन पर सिग्नलिंग रिले रूम खुले और बंद हों, तो SMS अलर्ट जनरेट करने की प्रणाली ठीक से काम करे। निर्देश में कहा गया है कि स्टेशन सीमा के साथ सभी केबिन हाउसिंग सिग्नलिंग उपकरण की जांच हो और डबल लॉकिंग की व्यवस्था ठीक की जाए।
  • रिले रूम खुलने और बंद करने पर SMS अलर्ट: रिले रूम से सिग्नल सिस्टम को संचालित किया जाता है। यह रूम दो चाबी से खुलता है। एक चाबी स्टेशन मास्टर और दूसरी चाबी सिग्नल मास्टर (JE) के पास होती है। जब भी रिले रूम का लॉक खोला या बंद किया जाता है तो संबधित अधिकारियों को SMS अलर्ट भेजा जाता है। जांच अभियान में सभी 19 जोन शामिल रहेंगे।
यह तस्वीर चार जून की है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान चार दिन तक घटनास्थल पर मौजूद रहे। रेस्क्यू से ट्रैक रेस्टोरेशन का काम देखा।
यह तस्वीर चार जून की है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान चार दिन तक घटनास्थल पर मौजूद रहे। रेस्क्यू से ट्रैक रेस्टोरेशन का काम देखा।

इस घटना से जुड़े अपडेट्स…

  • पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी मंगलवार को ओडिशा के कटक और भुवनेश्वर के अस्पतालों में तीन ट्रेन दुर्घटना में घायल हुए लोगों से मिलने जा सकती हैं। राज्य सचिवालय के सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी।
  • पश्चिम बंगाल के BJP नेता शुभेंदु अधिकारी ने हादसे को TMC की साजिश बताते हुए कहा, इन लोगों को रेलवे के दो अधिकारियों की बातचीत का पता कैसे चला? बातचीत कैसे लीक हो गई। CBI जांच में यह आना चाहिए। अगर यह नहीं आया, तो मैं अदालत जाऊंगा।
  • ओडिशा सरकार भुवनेश्वर, पुरी और कटक रेलवे स्टेशनों से ट्रेनों की आवाजाही सामान्य होने तक फंसे यात्रियों को कोलकाता जाने के लिए मुफ्त बस सेवाएं उपलब्ध करा रही है। तीनों शहरों से 59 बसों के जरिए यात्री कोलकाता के लिए रवाना किए गए हैं।

कवच का फंड एलॉट पर 3 साल से खर्च नहीं
हादसे के बाद इस बात को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि ट्रेनों में सुरक्षा कवच क्यों नहीं लगाया गया। एक रिपोर्ट में कहा गया साउथ ईस्ट रेलवे (SER) के अंतर्गत आने वाले बालासोर के लिए स्वदेशी तकनीक के लिए आवंटित बजट में से बीते तीन सालों में एक पैसा भी खर्च नहीं किया गया है।

रेलवे की पिंक बुक के मुताबिक सुरक्षा के लिए (1,563 RKM) पर कवच के लिए 468.9 करोड़ रुपए मंजूर किए गए थे, लेकिन मार्च 2022 तक एक भी रुपया भी खर्च नहीं हुआ।

इसी जोन के एक अन्य सेक्टर में रेलवे नेटवर्क पर एंटी ट्रेन कोलिजन सिस्टम (1,563 ईखश) के लिए 312 करोड़ रुपए मंजूर किए गए थे। फिर भी मार्च 2022 तक कोई खर्च नहीं हुआ। न ही 2022-23 के लिए आगे बढ़ाया गया।

नीचे दिए यार्ड ले-आउट के जरिए दुर्घटना के समय तीनों ट्रेनों की स्थिति को समझा जा सकता है…

इस यार्ड ले-आउट में शुक्रवार को दुर्घटना के समय तीनों ट्रेन की स्थिति को बताया गया है।
इस यार्ड ले-आउट में शुक्रवार को दुर्घटना के समय तीनों ट्रेन की स्थिति को बताया गया है।

इस ले-आउट को देखने पर हादसे के वक्त तीनों ट्रेन की स्थिति साफ हो जाती है…

  • बीच वाला ट्रैक अप मेन लाइन है, जिस पर शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस आ रही थी।
  • अप मेन लाइन के पास कॉमन लूप लाइन थी, जिस पर मालगड़ी खड़ी थी। कोरोमंडल एक्सप्रेस के कुछ कोच मालगाड़ी से टकराकर छिटक गए थे। कुछ डिब्बे डाउन मेन लाइन पर भी गिरे।
  • सबसे ऊपर डाउन मेन लाइन है। यहां से बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस गुजरी। कोरोमंडल एक्सप्रेस के कोच इस ट्रैक पर भी पड़े थे। बेंगलुरु-हावड़ा ट्रेन इन्हीं कोचेस से टकरा गई।