आपको याद होगा, यूपी में सत्ता परिवर्तन के बाद पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने जब अपना सरकारी बंगला खाली किया था, तब उन पर वहां लगी नल की टोटियां तक ले जाने का आरोप लगा था। मध्यप्रदेश में भी कुछ इसी तरह का मामला चर्चा में है। फर्क इतना है कि वहां नेताजी पर आरोप था, यहां एक अफसर पर…
हुआ यूं कि ‘महाराज’ समर्थक मंत्री के स्टाफ में तैनात एक अफसर को सरकारी घर मिला था। आर्थिक मामलों के एक्सपर्ट इस अधिकारी ने घर में रेनोवेशन भी कराया, लेकिन एमपी में उनका मन नहीं लगा। उनका देश की राजधानी जाना तय हो गया।
साहब ने अपना सरकारी घर खाली कर विभाग को चाबियां सौंप दी। कर्मचारी जब यहां पहुंचे तो घर के हाल देखकर हैरान रह गए। पूरे घर में पानी फैला था। नलों पर लगी महंगी टोटियां गायब थी। जब टोटियों को लेकर जानकारी ली गई तो साहब के मातहतों ने तर्क दिया कि घर में चोर घुसे और टोंटियां चुरा ले गए।
जब नाराज हो गए ‘मामा’ जी
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के भोपाल दौरे के बाद बीजेपी फुल इलेक्शन मोड में आ गई है। सीएम शिवराज सिंह चौहान से लेकर सत्ता और संगठन के छोटे-बड़े नेता बीजेपी दफ्तर की ओर दौड़ लगा रहे हैं। इसी दौड़ा-भागी में मामा जी नाराज हो गए।
दरअसल, चुनावी रणनीति और पार्टी के आगामी कार्यक्रमों को लेकर बीजेपी दफ्तर में लगातार मीटिंग हो रही है। सीएम शिवराज सिंह भी इनमें शामिल हो रहे हैं। जब वे मीटिंग में आते हैं और फिर जाते हैं, तो उनकी स्थिति ट्रैफिक जाम में फंसी किसी गाड़ी की तरह हो जाती है।
उन्हें देखते ही उनके साथ सेल्फी लेने वालों की होड़ लग जाती है, तो कभी मीडिया वाले घेर लेते हैं। हाल ही में जब उन्हें दफ्तर से वापस निकलना था तो गेट पर रास्ता ब्लॉक था। जिसके बाद उन्हें बगल के दरवाजे से निकलना पड़ा।
जिस पर नाराज मामा जी ने दफ्तर के कर्ताधर्ताओं को सख्ती से इस व्यवस्था में सुधार करने की हिदायत दी। मामा जी ने यहां तक कह दिया कि आने वाले समय में बैठकों की संख्या बढ़ेगी। ऐसे में यदि ऐसा ही माहौल रहा, तो मुश्किलें बढे़गी।
हालांकि मामा जी की नाराजगी पर विरोधी तो यह कह रहे हैं कि पावर सेंटर शिफ्ट किया जा रहा है, इसलिए वे खफा हैं।
कांग्रेस के मंच पर गरजी महिला नेता, सुनते रहे बाकी नेता
ये वाकया विंध्य क्षेत्र का है, जहां मालवा के एक बड़े नेता अपने प्रभार के जिले में मीटिंग लेने पहुंचे थे। उनके सामने ही मंच से एक महिला नेता ने पार्टी को धमकी दे डाली। उन्होंने कहा कि किसी को जान पहचान के आधार पर टिकट दिया गया तो याद रखना… सर्वे की बात होती है, लेकिन जब टिकट का बंटवारा होता है, वो सर्वे के आधार पर नहीं होता। यदि महिला शक्ति आगे आती है तो उनको आगे बढ़ाइए।
युवा नेत्री की खुली धमकी को सुनकर मंच पर बैठे नेता तो चुप रहे, लेकिन नीचे बैठे एक बुजुर्ग कांग्रेसी को गुस्सा आ गया। हालांकि, लोगों ने उन्हें समझा-बुझाकर बैठा दिया।
जैसे ही महिला नेता का भाषण खत्म हुआ, वहां मौजूद लोगों ने उनकी क्लास लगा दी। कहा कि महिलाओं की बात करती हों, कार्यक्रम में कितनी महिलाओं को लेकर आईं हैं। हंगामा बढ़ता देख मंच पर बैठे नेताओं ने जैसे-तैसे लोगों को शांत कराया।
सुना है कि महिला नेता मंच पर मालवा के जिस नेता के सामने गरजी, वो मालवा के ही एक दूसरे सीनियर लीडर की करीबी हैं। विधानसभा चुनाव में टिकट की आस लगाए बैठी हैं। नहीं मिलने पर बगावत के मूड में दिख रही हैं।
नेता जी की हो गई किरकिरी
पिछले महीने महाकौशल के एक बड़े शहर में कांग्रेस की ‘दीदी’ का दौरा हुआ था। उनके साथ मंच पर बैठने वाले नेताओं के लिए अलग-अलग कैटेगरी के पास जारी हुए थे। भोपाल से पार्टी के एक सीनियर पदाधिकारी ने अपने एक परिचित से कहा था कि हमारा पास ले लेना। हम जबलपुर पहुंचकर आपसे पास ले लेंगे।
किसी कारण से वह पदाधिकारी नहीं पहुंचे। फिर क्या था, जिन्हें पास लेने को कहा गया था, वो खुद पास लेकर मंच पर पहुंच गए, लेकिन उनके डर और हाव-भाव से वे दीदी के सुरक्षा अधिकारियों की नजरों में आ गए। फिर क्या था, जितने भी लोग मंच पर थे, सबको नीचे उतार दिया गया। बाद में लिस्ट और पास का मिलान करने के बाद ही मंच पर नेताओं को जाने दिया।
बताया जा रहा है कि बिना पास मंच पर जो चढ़े थे, वो पहले सरकारी मुलाजिम रह चुके हैं। नेतागिरी का नया-नया शौक चढ़ा है, लेकिन पहली ही बड़ी मीटिंग में किरकिरी हो गई।