देश

आज लॉन्च होगा चंद्रयान-3, दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन सकता है भारत

चंद्रयान-3 दोपहर ढाई बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। 23-24 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी। अगर दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिग होती है, तो भारत दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश बन जाएगा।

एल-110 चरण में प्रणोदक भरने का काम पूरा

आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC-SHAR) में मिशन चंद्रयान-3 की उलटी गिनती जारी है। एल-110 चरण में प्रणोदक भरने का काम पूरा हो गया है। इसरो का कहना है कि सी-25 चरण में प्रणोदक भरना शुरू हो रहा है।

कौन हैं वीरमुथुवेल?

तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले के एक परिवार से नाता रखने वाले वाले वीरमुथुवेल प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मद्रास) के पूर्व छात्र हैं और उन्होंने पीएचडी भी कर रखी है। चंद्र मिशन के परियोजना निदेशक के रूप में वीरमुथुवेल ने वनिता का स्थान लिया है, जो तत्कालीन इसरो प्रमुख के सिवन के नेतृत्व में चलाए गए चंद्रयान -2 मिशन की परियोजना निदेशक थीं। वनिता इसरो के इतिहास में इस पद काबिज हुई पहली महिला थीं। पहले चंद्रयान मिशन का नेतृत्व करने के बाद मयिलसामी अन्नादुरई को ‘मून मैन ऑफ इंडिया’ की पदवी दी गई। वह भी तमिलनाडु से नाता रखते थे। दिलचस्प तथ्य यह है कि पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, जिन्होंने भारत के रॉकेट कार्यक्रम का नेतृत्व किया, वह भी तमिलनाडु के रामेश्वरम से थे।

च्रंद्रयान का तमिलनाडु से अनोखा नाता

वर्ष 2008 में पहले चंद्र मिशन के साथ शुरू हुई चंद्रयान श्रृंखला के बारे में एक अनोखी समानता उसका तमिलनाडु से संबंध है। तमिलनाडु में जन्मे मयिलसामी अन्नादुरई और एम वनिता के चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 का नेतृत्व करने के बाद, अब विल्लुपुरम के मूल निवासी पी वीरमुथुवेल तीसरे मिशन की निगरानी कर रहे हैं। वीरमुथुवेल (46) वर्तमान में सोमनाथ के नेतृत्व में चंद्रयान-3 मिशन के परियोजना निदेशक हैं। एस सोमनाथ की अध्यक्षता में इसरो का मकसद उन विशिष्ट देशों की सूची में शामिल होना है, जिन्होंने चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में महारत हासिल कर ली है।

किताब की प्रस्तावना खुद सोमनाथ ने लिखी

कोझिकोड स्थित लिपि बुक्स (Lipi Books) द्वारा प्रकाशित ‘प्रिज्म’ अंतरिक्ष विज्ञान, खगोल विज्ञान, जीव विज्ञान, मानव विज्ञान और गणित सहित विज्ञान की विभिन्न धाराओं के 50 दिलचस्प लेखों का संकलन है। इसमें विभिन्न विषयों को शामिल किया गया है जैसे जेम्स वेब अंतरिक्ष दूरबीन, डार्क स्काई पर्यटन, ब्लैक होल पुष्टिकरण, कुत्ते लाइका की पहली अंतरिक्ष यात्रा इत्यादि। 167 पन्नों की इस किताब की प्रस्तावना सोमनाथ ने खुद लिखी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि यह “विज्ञान के चमत्कारों” से भरपूर है। ‘प्रिज्म’ विज्ञान के सौंदर्य और काव्यात्मक पहलुओं की खोज है और यह आम लोगों को विज्ञान के साथ घनिष्ठ संबंध विकसित करने और इसकी सुंदरता को महसूस करने में मदद करेगा।

चंद्रयान-3 लॉन्चपैड पर अनूठी पुस्तक का हुआ विमोचन

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता और लेखक विनोद मनकारा की नई किताब श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) में रॉकेट लॉन्चपैड से जारी की गई। विज्ञान लेखों के संग्रह ‘प्रिज्म: द एनसेस्ट्रल एबोड ऑफ रेनबो’ का अनोखा लॉन्च कार्यक्रम गुरुवार शाम एसडीएससी-शार (SDSC-SHAR ) में आयोजित किया गया।जहां देश के बहुप्रतीक्षित चंद्रमा मिशन चंद्रयान -3 के लिए तैयारियां जोरों पर चल रही थीं। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने पुस्तक को विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक एस उन्नीकृष्णन नायर को सौंपकर जारी किया।

चंद्रयान-3 के साथ नहीं जाएगा ऑर्बिटर

चंद्रयान-2 की तरह ही चंद्रयान-3 में भी लैंडर और रोवर भेजा जाएगा, लेकिन इसमें ऑर्बिटर नहीं होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि पिछले मून मिशन का ऑर्बिटर अभी भी अंतरिक्ष में काम कर रहा है।

चांद पर लैंडिंग में हो सकता है बदलाव

चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग 23-24 अगस्त को तय की गई है, लेकिन वहां सूर्योदय की स्थिति को देखते हुए इसमें बदलाव हो सकता है। अगर सूर्योदय में देरी होती है तो इसरो लैंडिंग का समय बढ़ाकर इसे सितंबर में कर सकता है।

क्या है चंद्रयान-3 मिशन?

चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही अगला चरण है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और परीक्षण करेगा। इसमें एक प्रणोदन मॉड्यूल, एक लैंडर और एक रोवर होगा। चंद्रयान-3 का फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करने पर है। मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण बनाए गए हैं। एल्गोरिदम को बेहतर किया गया है। जिन वजहों से चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह नहीं उतर पाया था, उन पर फोकस किया गया है।

अंतरिक्ष क्षेत्र के कारोबार में बढ़ेगी भारत की हिस्सेदारी : नंबी

इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने दावा किया है कि अगर चंद्रयान-3 सफलता से चंद्रमा पर उतरा तो भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र के कारोबार में हिस्सेदारी बढ़ाने का मौका मिलेगा। इस समय 60 हजार करोड़ डॉलर के आंके जा रहे इस क्षेत्र में हमारा हिस्सा महज 2 प्रतिशत है। इसके आगे बढ़ने की संभावना बढ़ेगी।

मिशन मुश्किल, लेकिन सफलता जरूरी : माधवन नायर

चंद्रयान-3 के हर तरह से सफल होने की अपेक्षा जताते हुए इसरो के पूर्व अध्यक्ष माधवन नायर ने कहा कि यह मिशन अंतरिक्ष अध्ययन क्षेत्र में भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने माना कि चंद्रमा पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग बेहद मुश्किल व जटिल है। कहा मिशन की सफलता जरूरी है।

सॉफ्ट लैंडिंग की क्षमता साबित करेंगे : डॉ. अन्नादुरई

भारत के मून-मैन व चंद्रयान-1 के मिशन डायरेक्टर डॉ. मायलस्वामी अन्नादुरई ने चंद्रयान-3 को बेहद अहम मिशन बताया। कहा, भारत ने चंद्रमा के परिक्रमा पथ को लेकर अपनी तकनीकी क्षमता साबित की है, अब सॉफ्ट लैंडिंग की क्षमता साबित करनी है। आज जब पूरी दुनिया फिर से चांद को देख रही है। हमें यह मिशन सफल बनाना ही होगा।
हमारे 14 दिन और चंद्रमा के एक दिन के बराबर काम करेगा मिशन
लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर एक दिन में 14 पृथ्वी दिवस के बराबर अपना काम व परीक्षण करेंगे। उल्लेखनीय है कि यह समय चंद्रमा के एक दिन के बराबर होगा। इसरो के पूर्व निदेशक के सिवन ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता भारत के अगले प्रमुख मिशन गगनयान को हौसला देगी। उन्हीं के कार्यकाल में 2019 में चंद्रयान-2 मिशन भेजा गया था, जिसमें लैंडर को चंद्रमा पर उतारने में सफलता नहीं मिली थी। उन्होंने कहा कि इसरो ने इस विफलता की वजह बनी चीजों काे फिर से तैयार किया और उन्हें सुधारा। इस बार निश्चित ही सफलता मिलेगी। सिवन ने कहा कि चंद्रयान-3 के सामने पिछले मिशन जैसी ही चुनौतियां हैं, वहीं अंतरिक्ष में कई चीजें अज्ञात रहती हैं। लेकिन गलतियों से सीख लेकर हमने नया आत्मविश्वास पाया है। उम्मीद है कि इस बार मिली सफलता भावी पीढ़ियों के लिए फायदेमंद साबित होगी। मिशन में हुए परीक्षण न केवल चंद्रमा की सतह, बल्कि पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में भी वैज्ञानिक जानकारियां बढ़ाएंगे।