लोकसभा में दिल्ली सर्विस बिल गुरुवार (3 अगस्त) को पास हो गया। अमित शाह ने विपक्ष से अपील की थी कि उनको अपने गठबंधन से ज्यादा दिल्ली की चिंता करनी चाहिए। शाह ने कहा था कि गठबंधन में होने की वजह से भ्रष्टाचार का साथ न दें, क्योंकि गठबंधन के बावजूद भी मोदी पूरे बहुमत से जीतेंगे। इसके बाद ममता बनर्जी ने कहा कि I.N.D.I.A. गठबंधन नया है और पूरे देश में फैला हुआ है, केंद्र में अगली सरकार हमारी होगी। अमित शाह सही कह रहे हैं, क्योंकि दिल्ली की जीत का मतलब हमारी जीत है।
ममता का कहना- भाजपा हिंसा को बढ़ावा देती है
ममता बनर्जी ने कहा कि भाजपा हिंसा को बढ़ावा देती है, संविधान को नहीं। इनके राज में दलितों, अल्प संख्यकों, आदिवासियों पर अत्याचार हो रहा है। यहां तक कि पत्रकारों से भी उनका धर्म पूछा जा रहा है। बनर्जी बोली कि हम भगवा रंग को नापसंद नहीं करते, लेकिन अगर पूरा देश भगवा हो जाएगा तो बाकी रंग कहां जाएंगे। भगवा हमारे देवी-देवताओं का प्रतीक है, लेकिन बीजेपी इसका सहारा हिंसा को बढ़ाने में ले रही है।
दिल्ली सर्विस बिल पर लोकसभा में अमित शाह की प्रमुख बातें…
![अमित शाह बोले- विपक्ष गठबंधन के बावजूद मोदी पूरे बहुमत से जीतेंगे।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/08/04/amit-shah1577881948_1691119925.jpg)
- पं नेहरू, सरदार पटेल, राजाजी (सी राजगोपालाचारी), राजेंद्र प्रसाद और डॉ. अंबेडकर ने इस बात का विरोध किया कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए। नेहरू ने कहा था कि दिल्ली में तीन चौथाई संपत्ति केंद्र सरकार की है, इसलिए इसे केंद्र के अधीन रखा जाए।
- राजधानी दिल्ली के किसी भी हिस्से पर और कोई भी कानून बनाने का पूरा अधिकार संसद को दिया गया है। 1993 से व्यवस्था चली आ रही थी। कभी केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी तो दिल्ली में हमारी सरकार थी। कभी केंद्र में हमारी सरकार थी तो दिल्ली में कांग्रेस का शासन था। कभी कोई समस्या नहीं आई। असल में दोनों ही दलों का मकसद सेवा था, सत्ता हथियाना नहीं। कोई झगड़ा नहीं हुआ, सबकुछ ठीक चल रहा था।
- 2015 में दिल्ली में जिस दल (आप) की सरकार आई, उसका मकसद सेवा नहीं, झगड़ा करना था। प्रॉब्लम ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार की नहीं थी, विजिलेंस को कंट्रोल में लेकर जो बंगला (अरविंद केजरीवाल का बंगला विवाद) बना दिया है, उसका सच छिपाना है। जो भ्रष्टाचार हो रहा है, इसका सत्य छिपाना है।
- मेरी अपील है कि विपक्षी दलों को दिल्ली के बारे में सोचना चाहिए, गठबंधन के बारे में नहीं। अलायंस के बावजूद केंद्र में बहुमत से नरेंद्र मोदी की सरकार बन रही है। जिस तरह से यूपीए ने शासन चलाया, उसी के कारण विपक्ष में बैठे हैं।