सार
विस्तार
मध्य प्रदेश का पहला स्टेट वाइल्ड लाइफ एक्शन प्लान जारी कर दिया गया। इसमें अगले 2023 से 2043 तक वन्यजीवों की संख्या को ध्यान में रखकर कार्ययोजना तैयार की गई है। इसमें संरक्षित वन क्षेत्र बनाने, उनके विकास और वन्य जीवों की सुरक्षा और पर्यटन को लेकर सभी बिंदु शामिल किए गए, लेकिन अब प्लान बनाने वाली समिति पर ही सवाल खड़े हो गए हैं। इसको लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव वन विभाग को शिकायत की गई है।
स्टेट वाइल्ड लाइफ एक्शन प्लान 29 जुलाई को जारी किया गया। इस प्लान को तैयार करने वाली समिति में किसी आदिवासी या किसी भी स्थानीय व्यक्ति को शामिल नहीं किया गया, जबकि मप्र स्टेट वाइल्ड बोर्ड में भी आदिवासी समुदाय के सदस्य शामिल हैं। समिति में केवल सरकारी अफसरों, रिटायर्ड अफसरों और शहरी क्षेत्रों में निवासरत गैर सरकारी सदस्यों को शामिल किया गया। प्रदेश के वन क्षेत्रों में निवासरत अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधियों को शामिल नहीं करने से समिति के उद्देश्यों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इससे प्रदेश में पेसा एक्ट का भी उल्लंघन बताया जा रहा है। वहीं, प्लान को शहर के लोगों द्वारा अंग्रेजी में तैयार करने पर भी आपत्ति ली गई।
गैर सरकारी सदस्य के चयन पर भी सवाल
शिकायत में वन विभाग के अधिकारियों द्वारा समिति में चहेते अधिकारियों और विवादास्पद गैर सरकारी लोगों के चयन पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। इस समिति में आर्थिक अनियमितता की जांच झेल रही संस्थाओं के पदाधिकारियों को भी शामिल कर लिया गया था। वे नोटिस के जवाब देने से बच रहे हैं। हद तो यह है कि ये पदाधिकारी नोटिस जारी करने वाले वन अधिकारियों के साथ बैठक में शामिल हो रहे हैं।
हमने सीएम, सीएस, एससीएस को शिकायत
वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने कहा कि हिंदी भाषी राज्य में पहले तो जंगल में रहने वाले जानवरों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले लोगों को यह योजना बनाने में शामिल नहीं किया। दूसरा अंग्रेजी में प्लान तैयार किया गया, जिसे अब तक वेबसाइट भी अपलोड नहीं किया गया। इस मामले में सीएम से लेकर संबंधित अधिकारियों को शिकायत की है।
मुझे अभी शिकायत नहीं मिली
वहीं, वन विभाग के अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया ने कहा कि अभी इस मामले में मुझे शिकायत नहीं मिली है। शिकायत के तत्थों को देखकर आगे कार्रवाई की जाएगी।
हिंदी में अनुवाद कराएंगे
पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ असीम श्रीवास्तव ने बताया कि अभी अंग्रेजी में रिपोर्ट है। उसका हिंदी में अनुवाद कराएंगे।
नए संरक्षित क्षेत्रों की जरूरत बढ़ रही
बता दें, प्रदेश दूसरी पर टाइगर स्टेट बन गया। बाघों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इससे अभयारण्य, नेशनल पार्क, टाइगर रिजर्व की जरूरत पढ़ने लगी है। नए संरक्षित क्षेत्रों की जरूरतों को देखते हुए रातापानी अभयारण्य को टाइगर रिजर्व करने जोर दिया जा रहा है। वहीं, गांधी सागर अभयारण्य को नेशनल पार्क का दर्जा दिया जाता है। इस तरह वन्यजीवों की संख्या के आधार पर संरक्षित क्षेत्र की संख्या बढ़ाने को लेकर रिपोर्ट में सुझाव दिए गए है।