मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर का 600 किलो वजनी शिवलिंग यूपी के अयोध्या में बनने जा रहे राम मंदिर में स्थापित किया जाएगा। शुक्रवार को शिवलिंग के पूजन के बाद इसे प्रतिष्ठा यात्रा के रूप में रवाना कर दिया गया। यह यात्रा 5 दिन में एक हजार से भी ज्यादा किमी का सफर तय करेगी। 23 अगस्त को राम जन्मभूमि न्यास को यह शिवलिंग सौंप दिया जाएगा।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। उम्मीद की जा रही है कि 2024 में इस मंदिर का प्रथम तल बनकर तैयार हो जाएगा। मंदिर करीब दो एकड़ क्षेत्र में बनाया जा रहा है। यहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आएंगे। रामलला के दर्शन के साथ ही श्रद्धालु चार फीट ऊंचे और 600 किलो वजनी स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन करके पुण्य लाभ प्राप्त करेंगे।
नर्मदेश्वर शिवलिंग के रूप में जाना जाएगा
नर्मदा नदी के किनारे से प्राप्त होने पर इसे अयोध्या में नर्मदेश्वर शिवलिंग के रूप में जाना जाएगा। अभी तक ये ओंकारेश्वर के पास बिल्लोरा खुर्द में नजर निहाल आश्रम में रखा गया था। शुक्रवार सुबह 8 बजे श्रीश्री 1008 अवधूत नर्मदानंद बापजी ने शिवलिंग का वैदिक मंत्रोच्चार के बीच दूध, दही और जल से अभिषेक किया।
पूजन में संतों के साथ मप्र की पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर भी शामिल हुई। इसके बाद प्रतिष्ठा यात्रा के रूप से इसे रवाना कर दिया गया। यात्रा उज्जैन, ब्यावरा, शिवपुरी, कानपुर में विश्राम करते हुए अयोध्या पहुंचेगी।
मुख्य मंदिर के समीप विराजित होंगे नर्मदेश्वर महादेव
बापजी ने बताया कि अयोध्या में श्री रामलला के मंदिर परिसर की कुल भूमि करीब 67 एकड़ है। इसमें केवल 2 एकड़ में ही भव्य राम मंदिर बनेगा। राम मंदिर के विग्रह के चारों ओर बन रहे करीब 14 फीट चौड़े परकोटे के 6 मंदिरों में से एक मंदिर में मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर क्षेत्र के 4 फीट ऊंचे पूर्णतः प्राकृतिक नर्मदेश्वर महादेव स्थापित होंगे। यह हमारे क्षेत्र के लिए सौभाग्य की बात है कि श्रीराम के इस पावन जन्मस्थली में स्थापित होने वाले शिवलिंग को ओंकारेश्वर तीर्थ क्षेत्र से चयनित किया गया है।
इस तरह संभव हुआ नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना
बापजी ने बताया कि वे पहले जम्मू से अयोध्या तक राष्ट्र गौरव पदयात्रा और राष्ट्रधर्म विजय यात्रा में शामिल हो चुके हैं। इसी दौरान उनकी मुलाकात श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट अयोध्या के महासचिव चंपत राय से हुई। उनके निवेदन पर नर्मदेश्वर शिवलिंग की खोज शुरू की गई। क्योंकि मान्यता अनुसार नर्मदा का हर कंकड़ शंकर माना जाता है। इसलिए नर्मदा में शिवलिंग की तलाश शुरू की गई। लंबी तलाश के बाद ओंकारेश्वर तीर्थ क्षेत्र में इच्छित शिवलिंग मिलने पर उसे अंतिम स्वरूप दिया गया। अब यह शिवलिंग अयोध्या राम मंदिर में विराजित होगा।
कौन है नजर निहाल आश्रम के बापजी महाराज
श्रीश्री 1008 अवधूत नर्मदानंद बापजी ने 1994 में परमपूज्य श्री राजानंद बापजी से ब्रम्हचर्य की दीक्षा लेकर संत जीवन का शुभारंभ किया। 2004 में उज्जैन के कुंभ में संन्यास धारण किया और गुरु परंपरा के ध्वज को आगे बढ़ाते हुए धर्म कार्यों में निरंतर सक्रिय हैं। वे 2001 और 2014 में मां नर्मदा की पैदल परिक्रमा कर चुके हैं। उन्होंने 2006 से सन 2015 तक द्वादश ज्योतिर्लिंगों की यात्रा की। उन्होंने भारत के विभिन्न तीर्थों में यज्ञ और हवन के माध्यम से पर्यावरण की शुद्धि की।