नाग पंचमी के दिन नाग देवता की होती है भव्य पूजा
नागपंचमी के दिन यहां नाग देवता की पूजा की जाती है। जहां इस दिन को यहां के लोग बड़े ही धूमधाम के साथ लोग मनाते हैं। साथ ही यह कोशिश करते हैं कि नागदेव के दर्शन हो जाएं। यहां एक ऐसी प्राचीन जगह भी है जहां अति प्राचीन सांपों को बसेरा है। यहां कभी भी, कहीं भी तरह-तरह के नाग देवता के दर्शन हो जाते हैं। इस जगह को नागोताल के नाम से जाना जाता है। साथ ही ऐसा माना जाता है कि यहां पर कभी मणि वाले सर्प भी मिला करते थे। जजा ऋषि मुनि यहां साधना किया करते थे, आज भी ये जगह कई अद्भुत रहस्य अपने आप में समेटे हुए है। यहां प्रकृति का अद्भुत रहस्य देखना हो या अद्भुत नजारा देखना हो, चमत्कार देखना हो और अगर आप सर्प प्रेमी हैं और अति प्राचीन नागराज के दर्शन करने हैं तो नागोताल आपको जरूर जाना चाहिए। यहां नाग पंचमी के दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
जानें कहां है नागोताल
नागोताल शहडोल संभाग के उमरिया जिले में स्थित है। यहां जाने के लिए शहडोल संभाग से लगभग 55 से 60 किलोमीटर की दूरी भी तय करनी पड़ती है। तो वहीं, उमरिया जिले से लगभग 30 से 35 किलोमीटर की दूरी पर नागोताल स्थित है। उमरिया जिले के नौरोजाबाद से लगभग पांच किलोमीटर दूर पटपरा ग्राम पंचायत में नागोताल स्थित है। यहां पहुंचते ही एक अलग ही अनुभूति होती है और प्रकृति का अद्भुत नजारा भी देखने को मिलता है। जहां पहाड़ और पेड़-पौधों की छटा देखते ही बनती है, नागोताल मैकल पर्वत की तराई पर स्थित है।
यहां के मुख्य पुजारी ललित गिरी बताते हैं कि, ‘आज तक यहां कोई भी पुजारी रुका नहीं है, लेकिन वो 2001 से यहां रुक रहे हैं। इस जगह के बारे में ललित गिरी बताते हैं कि, इस दौरान उन्होंने एक से बढ़कर एक अद्भुत नाग देवता के दर्शन किए हैं। वहीं यह ऐसी जगह है, जहां पर आपको कभी भी, कहीं भी नाग देवता के दर्शन हो सकते हैं। आये दिन यहां अद्भुत नाग निकलते रहते हैं। हालांकि उनकी एक खूबी यह भी बताते हैं कि, इस क्षेत्र में ही नाग पाए जाते हैं और आज तक किसी को नुकसान पहुंचाने की बात सामने नहीं आई है।

गौरतलब है कि नागोताल परिसर में एक प्राकृतिक कुंड बना हुआ है, जहां से एक छोटी सी धारा में पानी निकलता है, जो सदियों से निकल रहा है। वहीं ये जलधारा कब से निकल रही, ये किसी को पता नहीं है। लेकिन आज तक वह धारा कभी भी बंद नहीं हुई है। यहा पर एक छोटा सा प्राकृतिक तालाब भी बना हुआ है, जहां पानी इकट्ठा रहता है। नागोताल के पुजारी ललित गिरी बताते हैं कि, आज तक यह कुंड सूखा नहीं है। जब प्रचंड गर्मी पड़ती है, तब इस कुंड का पानी और बढ़ने लगता है। आसपास के गांव के लोग तो पानी पीने यहां आते हैं। कुंड के चारों ओर तालाब के चारों ओर नाग देवता के दर्शन होते रहते हैं। इस तालाब में जरूर कोई रहस्यमई बात है।
नाग भी आते हैं कथा सुनने यहां
ललित गिरी महाराज बताते हैं कि, ये जगह नागोताल तीर्थ स्थल के तौर पर प्रचलित है। यहां पर कोई भी धार्मिक कार्य हो, यहां नाग देवता के दर्शन जरूर होते हैं। वही लोग यह भी कहते हैं कि, जब यहां कथा वाचन होता है, तो कई नाग देवता आकर कथा वाचन सुनते रहते हैं और जैसे ही वह कथा वार्ता खत्म होती है, नाग देवता भी यहां से चले जाते हैं। भंडारा होता है तो यहाँ आश्रम के छप्परों पर नाग देवता विचरण करते हैं।
रहस्यमई चीजों का है यह खजाना
नौरोजाबाद से आये एक श्रद्धालु बताते हैं कि, नाग पंचमी के दिन यहां विशेष पूजा पाठ होती है। नागोताल तीर्थ स्थल के तौर पर इस क्षेत्र में प्रचलित है और बहुत ही रहस्यमयी जगह है। लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। और ऐसा माना जाता है कि, यहां कोई भी मन्नत मांगी जाए वह पूरी होती है।ये जगह लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र भी है। पुजारी ललित गिरी बताते हैं कि, नागोताल में सन्यासी बाबा हैं, बजरंगबली हैं, यज्ञशाला है, शेषनाग है, भोलेनाथ हैं, माता जी का स्थान हैं, सिद्ध बाबा हैं, अविरल कुंड है साथ ही चमत्कारी तालाब है।

पुरातत्व विशेषज्ञ और इतिहासकार रामनाथ परमार बताते हैं कि, उमरिया का नागोताल अपने आप में अद्भुत जगह है। यहां सांपों के लिए अनुकूल वातावरण पाया जाता है, इसीलिए यहां पहले एक से एक अद्भुत रहस्यमई नाग मिला करते थे और अब भी इनके दर्शन होते रहते हैं। नागोताल नौरोजाबाद से लगे मैकल की तराई वाले क्षेत्र में है, इसमें एक प्राचीन प्राकृतिक सरोवर है।
बता दें कि मैकल की तराई में स्थित नागोताल के पास जिस तरह का क्षेत्र नजर आता है, उसे देखकर यही लगता है कि कभी यहां पर घनघोर जंगल हुआ करता था। आज भी यहां पर जंगली जानवर आते हैं, लेकिन अब इस क्षेत्र में आसपास लोग रहने लगे हैं। यहां जिस तरह का क्षेत्र नजर आता है और घनघोर जंगल हुआ करता था। उसे देखकर लगता है कि, यह जगह कभी तपस्वियों की तपस्थली रही होगी। इस जगह के बारे में पुराने लोग यह भी बताते हैं कि, कभी यहां मणि वाले सांप मिला करते थे और मणि की तलाश में तरह तरह के लोग यहां आया करते थे। यहां सांप बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। यह क्षेत्र सांपों के लिए संरक्षित करने का एकमात्र स्थान बन सकता है