मध्य प्रदेशराजनीती

CM ने बुधनी में पूछा- चुनाव लड़ूं या नहीं:शिवराज ने तीन दिन पहले कहा था- जब मैं चला जाऊंगा, तब याद आऊंगा तुम्हें

एमपी में विधानसभा चुनाव के पहले आए दिन रोचक नजारे और बयानबाजी सामने आ रही है। भोपाल आए पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में सीएम शिवराज और मप्र सरकार की योजनाओं का जिक्र नहीं किया तो कांग्रेस ने शिवराज को साइडलाइन करने जैसे तंज कसे। कांग्रेस के हमलों के बीच सीएम शिवराज भी अपने बयानों से रोज नई आशंकाओं को जन्म दे रहे हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंगलवार को अपने गृह जिले सीहोर के पातालेश्वर मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए भूमिपूजन करने पहुंचे। यहां जनसभा में वे भावुक हो गए। उन्होंने सभा में मौजूद लोगों से पहले तो पूछा कि चुनाव लडूं कि नहीं लड़ूं। यहां से चुनाव लडूं या ना लड़ूं। सीएम की यह बात सुनकर सभा में मौजूद कार्यकर्ताओं ने मामा-मामा के नारे लगाए।

सीएम ने कहा- अपने पुण्यों का उदय हो रहा है

सीएम शिवराज ने कहा- ‘यहां सभी गांवों के लोग बैठे हैं। पुजारी बैठे सब सुन रहे हैं। ये अपने पुण्यों का उदय है। सड़क स्कूल पुल-पुलिया ये तो सब बनते रहते हैं, लेकिन मैं कितना भाग्यशाली हूं कि एक साथ इतने मंदिरों में भगवान की सेवा करने का मौका मिला। केवल इतने ही मंदिर नहीं, महाकाल महाराज के दरबार में महाकाल महालोक बना। सलकनपुर में देवी लोक बन रहा है।’ भाषण के बीच में किसी ने कुछ बोला तो सीएम ने कहा- बोलने दो भावों का प्रकटीकरण होने दो। मुझे ही समझ नहीं आ रहा मैं क्या बोलूं।

आचार संहिता लग जाएगी इसलिए बहनों के खातों में एडवांस में पैसे डाल रहा हूं

सीएम ने लाड़ली बहनों से कहा- कल फिर तुम्हारे खाते में पैसे डाल रहा हूं। वैसे तो 10 तारीख को डलते हैं, लेकिन आचार संहिता लग जाएगी तो डल ही नहीं पाएंगे, इसलिए एडवांस में ही डाल दो। चुनाव के बीच में एक और 10 तारीख आएगी, तो चुपचाप डाल दूंगा। कांग्रेस के नेता तो रोते रहते थे पैसे ही नहीं हैं। भगवान की बडी कृपा है कि पैसे की कमी नहीं होने दी। जितना हो सकता है, करने की कोशिश कर रहे हैं। ये जीवन काहे के लिए। ये हाड़-मांस का पुतला है, कितने दिन रहेगा। जितने दिन रहे जनता की सेवा में रह जाए।

कमलनाथ ने कहा, शिवराज खुद ही अपना विदाई समारोह आयोजित कर रहे
CM शिवराज के बयान पर पूर्व CM कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा, ‘मप्र के मुख्यमंत्री की विडंबना तो देखिए कि अब वे मंचों से अपने जाने की बात खुद ही करने लगे हैं। ये भाजपाई राजनीति का अजब दौर है, जब खुद ही वे अपना विदाई समारोह आयोजित कर रहे हैं। खुद ही विदाई भाषण पढ़ रहे हैं, लेकिन एक विशेष विरोधाभास ये है कि विदाई की इस बेला में जनता की आंख में आंसू नहीं हैं, बल्कि भाजपा सरकार के जाने की और कांग्रेस सरकार के आने की खुशी में जनता के चेहरों पर मुस्कान है। कांग्रेस मुस्कान की गारंटी है।’