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उज्जैन : हरिहर मिलन समारोह के दौरान आतिशबाजी और हिंगोट के उपयोग पर रहेगा पूर्णत: प्रतिबंध

उज्जैन। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी कुमार पुरुषोत्तम ने 25 नवम्बर शनिवार को होने वाले हरिहर मिलन समारोह के दौरान भगवान महाकालेश्वर की सवारी में दंड प्रक्रिया संहिता-1973 की धारा-144(1) के अन्तर्गत आतिशबाजी और हिंगोट का उपयोग पूर्णत: प्रतिबंधित किये जाने के आदेश जारी कर दिये हैं। यदि किसी व्यक्ति द्वारा हरिहर मिलन समारोह के दौरान इस आदेश का उल्लंघन किया जाता है तो उसके विरूद्ध नियमानुसार वैधानिक कार्यवाही की जायेगी।

श्री महाकालेश्वर मंदिर से शनिवार 25 नवंबर, वैकुण्ठं चतुर्दर्शी को, रात्रि 11.00 बजे हरिहर मिलन की सवारी निकाली जावेगी। मान्यता है कि, देवउठनी एकादशी के पश्यात वैकुण्ठ चतुर्दशी पर श्री हर (श्री महाकालेश्वर भगवान जी) श्री हरि (श्री द्वारकाधीश जी) को सृष्टि का भार सौपते हैं। देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां विश्राम करने जाते हैं ।

उस समय पृथ्वी लोक की सत्ता भगवान देवाधिदेव महादेव के पास होती है और वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव यह सत्ता पुनः श्री विष्णु को सौंप कर कैलाश पर्वत पर तपस्या के लिए लौट जाते हैं। इस दिवस को वैकुंठ चतुर्दशी, हरि-हर भेट भी कहते है।

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक एवं अपर कलेक्टर संदीप कुमार सोनी ने बताया कि परम्परा अनुसार श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप से रात्रि 11 बजे श्री महाकालेश्वर भगवान की पालकी धूम-धाम से गुदरी चौराहा, पटनी बाजार होते हुए गोपाल मंदिर पहुंचेगी। जहां पूजन के दौरान बाबा श्री महाकालेश्वर जी बिल्व पत्र की माला गोपाल जी को भेट करेंगे एवं वैकुण्ठनाथ अर्थात श्री हरि तुलसी की माला बाबा श्री महाकाल को भेट करेंगे। पूजन उपरांत श्री महाकालेश्वर जी की सवारी पुन: इसी मार्ग से श्री महाकालेश्वर मंदिर वापस आयेगी। सवारी के साथ मंदिर के पुजारी/पुरोहित, कर्मचारी, अधिकारी आदि सम्मिलित होंगे।