मध्य प्रदेशराजनीतीहोम

संगठन की नज़र में, अमित शाह के जेहन में, नड्डा जी के दिल और मोदी के मन मे “मोहन”

यू ही कोई मुख्यमंत्री नही बन जाता है, प्रारब्ध और भाग्य तो चाहिए ही-समाज जीवन मे विशिष्टता भी होनी चाहिए। 40 साल के समाज जीवन मे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रामाणिक कार्यकर्ता का स्थान बनाया,संगठन ने जो कहा वही किया,यहाँ तक कि विवाह भी संगठन ने ही कराया। मोहन जी कभी संगठन के इतर नही गए,कभी अपेक्षित रहे कभी उपेक्षित रहे पर अपने समाज जीवन की दिशा नही बदली।

लोकेश शर्मा जी के साथ छात्र राजनीति में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े,शिवा कोटवानी,दिवाकर नातू, अशोक कड़ेल, सानिध्य में खुद को संवारा,राजनीति के लिए तैयार किया। फिनिशिंग संगठन शास्त्र के ऋषि शालिगराम तोमर ने की,तोमर जी ने ही शिवराज-कैलाश विजयवर्गीय-बृजमोहन अग्रवाल,केदार पांडेय,नरेन्द्र सिंह तोमर,अजय विश्नोई, जैसे धुरन्धर जननेता भाजपा के लिए तैयार किए,उसी वैचारिक भट्टी से मोहन जी भी तपकर निकले।

मोहन जी की सांगठनिक निष्ठा और वैचारिक प्रतिबद्धता के कारण उनपर संघ के अखिल भारतीय अधिकारियों की नजर पड़ी और उनको तराशने-संवारने का काम संगठन ने शुरू किया। संघ के दायित्व निभाए,विद्यार्थी परिषद में राष्ट्रीय मंत्री तक पहुचे,भाजपा में सीधे नगर महामंत्री बने,और तेजी से सत्ता साकेत की सीढ़ियां चढ़नी शुरू की।

2003 में भाजपा की मध्यप्रदेश में सरकार बनी मोहन जी उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष बनाए गए। इसके पूर्व नाटकीय घटनाक्रम में 2003 के विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा ने पहले बड़नगर से टिकट दिया गया,फिर शांतिलाल धबाई के दबाव में टिकट वापस ले लिया।

इतना होने पर भी मोहन जी ने धैर्य नही खोया। उज्जैन विकास प्राधिकरण में जबरदस्त काम किया,फलस्वरूप पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष बनाए गए। वहाँ भी मील के पत्थर गाड़ दिए। 2013 में विधायक बने। 2018 में फिर चुनाव जीते-सरकार कांग्रेस की बन गई। इस दौरान कोरोना काल आ गया। मोहन जी ने पूरे मनोयोग से खूब काम किया,ईलाज को लेकर खूब चिंता की।

2020 में सरकार भाजपा की बन गई,मोहन जी उच्च शिक्षा मंत्री बने। प्रधानमंत्री मोदी जी नई शिक्षा नीति लाए,मोहन जी ने उसे सबसे पहले मध्यप्रदेश में लागू किया। उच्च शिक्षा में मोदी जी की मंशा के अनुरूप नवाचार और रोजगार को फोकस कर नए कोर्स शुरू किए।

2023 के चुनाव में दो महीने पहले से संगठन में नेतृत्व के लिए सकुटनिंग शुरू की,जीते तो मुख्यमंत्री कौन होगा,हारे तो विपक्ष का नेता कौन होगा,इस पर कई स्तरों पर विचार कर कुछ नाम निकाले। मोहन जी का नाम आगे आया। पिछड़ा होना खासकर यादव होने का लाभ मिला,उस पर प्रामाणिक कार्यकर्ता होना सोने पे सुहागा हो गया।

संगठन ने बड़ी जिम्मेदारी की अनुशंसा की,अमित शाह जी ने कसौटी पर कसा,नड्डा जी ने निर्णायक टोली को मनाया,एक वरिष्ठतम संघ अधिकारी ने मोदी जी को कन्विंस किया और मोहन जी मोदी के मन को भा गए। एमपी के मन मे मोदी और मोदी के मन मे मोहन की थ्योरी सफल हो गई। भाजपा को मोहन यादव के रूप में लोकप्रिय चेहरा मिल गया। उत्तरप्रदेश, बिहार,उड़ीसा,राजस्थान, हरियाणा,दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में मोहन यादव चेहरा होंगे। लोकसभा चुनाव में उन्हें अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव से मुकाबिल होना है।

उज्जयिनी सम्राट प्रसेनजित और संवत प्रवर्तक सम्राट विक्रमादित्य की नगरी है,उज्जैन ने पूरे ब्रह्मांड के सर्वश्रेष्ठ शिष्य श्री कृष्ण को शिक्षा दी है,बाबा महाकाल यहाँ विराजमान है,शक्तिपीठ है,कुम्भ नगरी है,अष्ट भैरव और गणेश विराजे है,नौ नारायण और सप्त सागर भी है,कालिदास,भास और भोज की नगरी है,मोहन जी उज्जैन से दूसरे मुख्यमंत्री है। 1972 में प्रकाशचन्द्र सेठी उज्जैन उत्तर से जीतकर कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री बने थे।

उज्जैन आज गौरान्वित है,उम्मीद से भरी हुई है,अपेक्षा से सराबोर है मोहन जी कुछ तो करेंगे,मोहन जी के पास विजन है,सोच है काम करने की प्रवृत्ति है,उन्हें काम कराना आता है। सबसे खास बात उन्हें और मोदी जी को एकरस करती हैं उनका निःस्पृह भाव। यार,दोस्त, घर परिवार से पहले संगठन। यही बात उन्हें इतनी ऊँचाई पर ले गई है।

उज्जैन को उम्मीद है मोहन जी हर अपेक्षा पर खरे उतरेंगे,बड़े मन से नई इबारत लिखेगे और अपना तथा उज्जैन का नाम आलोकित करेंगे। इतनी उम्मीद तो उज्जैनवासी करेंगे ही। मोहन जी को यशस्वी कार्यकाल की मंगलकामनाएँ।

-प्रकाश त्रिवेदी
संपादक
samacharline.com
Ujjain-Bhopal