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धर्मस्थलों के लाउडस्पीकर पर की जा रही कार्रवाई को लेकर हाईकोर्ट ने दिए आदेश, कही ये बात

सार

विस्तार

मध्य प्रदेश में मोहन यादव की सरकार के सबसे पहले फैसले, जिसमें सभी धर्मस्थलों से लाउडस्पीकर को हटाने की और इसे लेकर लगातार सख्ती बरतने की बात कही गई थी, उस पर प्रदेश के खंडवा जिले के याचिकाकर्ताओं के द्वारा लगाई गई एक पिटीशन पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की तरफ से एक बड़ा आदेश पारित हुआ।

आदेश में उच्च न्यायालय ने खंडवा जिला कलेक्टर को धर्मस्थलों पर लगे लाउडस्पीकर को लेकर याचिकाकर्ता के पूर्व में दिए आवेदन पर 30 दिन में न्यायोचित निर्णय पारित करने का आदेश दिया। वहीं, याचिकाकर्ताओं ने अपने आवेदन में जिला कलेक्टर सहित कमिश्नर और प्रदेश के प्रमुख सचिव से मांग की थी कि उन्हें सुप्रीमकोर्ट की तय गाइडलाइन के अनुसार अपने धर्म स्थलों पर लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने की विधिवत अनुमति दी जाए।

बता दें कि हाल ही में एक बार फिर से प्रदेश भर में लाउडस्पीकर को लेकर ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है। खास बातचीत में याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता का मानना है कि उनकी याचिका इस कार्रवाई के मामले में प्रदेश भर के लिए मील का पत्थर साबित होगी।

प्रदेश में चुनाव खत्म होते ही एक बार फिर से मुख्यमंत्री मोहन यादव ने धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर उतरवाने को लेकर आदेश दिए थे, इसका असर भी शनिवार से लगातार देखने को मिल रहा है, जब खंडवा सहित प्रदेश भर में अचानक जिला प्रशासन और पुलिस की टीम धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर उतरवाने निकली हुई है। वहीं इसको लेकर अधिकारियों का कहना था कि लाउडस्पीकर हटाने के आदेश तो पहले से ही दिए गए थे, वे तो सिर्फ उसका पालन कराने निकले हैं। इस दौरान प्रशासनिक अमले ने धार्मिक स्थल की कमेटियों को समझाइश देकर वहां से ध्वनि विस्तारक यंत्र उतरवा भी दिए थे। हालांकि बीते दिनों ही लाउडस्पीकर की कार्रवाई को लेकर खंडवा के दो याचिका कर्ताओं ने जिला कलेक्टर से मांग की थी कि उन्हें सुप्रीमकोर्ट की तय गाइडलाइन के अनुसार धर्म स्थलों पर लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने दिया जाए। जिस पर जिला कलेक्टर ने किसी तरह की कोई सुनवाई नहीं की थी। इसके बाद दोनों याचिकाकर्ताओं ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच में इसको लेकर पिटीशन दायर की थी। जिस पर माननीय हाईकोर्ट ने जिला कलेक्टर को याचिकाकर्ताओं के पूर्व में दिए आवेदन पर अगले 30 दिनों में निर्णय पारित करने का आदेश दिया है।

याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने बताया, क्यों लगाई याचिका
मामले की पैरवी कर रहे मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर के अधिवक्ता आर्यन उरमलिया ने बताया कि खंडवा जिले में जनवरी में पुलिस प्रशासन ने एक बैठक करवाई थी। इसमें आम लोग और धर्म गुरु शामिल हुए थे। जिसमें तय हुआ कि आप लोग आवेदन दीजिए और हम लाउडस्पीकर के संबंध में आपको परमिशन जनरेट करके देंगे। इस संबंध में हमारे जो पक्षकार हैं, खंडवा के हजरत बुलंद शहीद मस्जिद के नायब इमाम शेख जावेद और लव जोशी, इनके द्वारा उस संबंध में संबंधित अधिकारियों से पत्राचार किया गया था। उस पर संबंधित अधिकारियों के द्वारा अब तक कोई निराकरण नहीं किया गया और उसमें एक पक्षीय कार्रवाई करते हुए बिना किसी लिखित सूचना के उनके द्वारा धर्मस्थलों से लाउडस्पीकर भी हटवा दिए गए थे।

संपूर्ण मध्य प्रदेश के लिए याचिका बनेगी मील का पत्थर
अधिवक्ता आर्यन उरमलिया ने  बताया कि इसके परिणाम स्वरूप हमने अपने पक्षकार नायब इमाम शेख जावेद के पक्ष में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एक याचिका प्रस्तुत की थी, जिसमें माननीय उच्च न्यायालय ने समयबद्ध निर्णय पारित करते हुए संबंधित अधिकारियों को 30 दिन के भीतर पक्षकारों के अभ्यावेदन में निर्णय लेने का आदेश पारित किया है। इसी बीच बीते 25 मई को मध्य प्रदेश शासन और पुलिस प्रशासन के द्वारा संपूर्ण मध्य प्रदेश में लाउडस्पीकर हटाने की कार्रवाई की गई है, जिसको लेकर मैं समझता हूं कि यह पिटीशन एक मील का पत्थर साबित होगी।