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देवी स्वरूप में सजे बाबा महाकाल, रुद्राक्ष माला और कमल के फूल बढ़ा रहे थे शोभा

mahakal

अश्विन शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर श्री महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल का आलौकिक शृंगार हुआ। इस दौरान बाबा महाकाल को आभूषण से देवी स्वरूप में सजाया गया और फूलों की माला से शृंगार किया गया। जिसने भी इन दिव्य दर्शनों का लाभ लिया, वे देखते ही रह गए। आज भक्तों को दर्शन देने के लिए बाबा महाकाल सुबह 4 बजे जागे। इसके बाद बाबा महाकाल की भस्म आरती धूमधाम से की गई।

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि अश्विन शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि यानी कि नवरात्रि के सातवें दिन बाबा महाकाल सुबह 4 बजे जागे। भगवान वीरभद्र और मानभद्र की आज्ञा लेकर मंदिर के पट खोले गए। इसके बाद सबसे पहले भगवान का स्नान, पंचामृत अभिषेक करवाने के साथ ही केसर युक्त जल अर्पित किया गया। इस अलौकिक शृंगार को जिसने भी देखा, वह देखता ही रह गया। आज बाबा महाकाल का आभूषण से देवी स्वरूप मे शृंगार किया गया और रुद्राक्ष की माला के साथ कमल के फूल भी अर्पित किए गए। फिर महानिर्वाणी अखाड़े द्वारा बाबा महाकाल को भस्म अर्पित की गई। श्रद्धालुओं ने नंदी हॉल और गणेश मंडपम से बाबा महाकाल की दिव्य भस्म आरती के दर्शन किए और भस्म आरती की व्यवस्था से लाभान्वित हुए। श्रद्धालुओं ने इस दौरान बाबा महाकाल के निराकार से साकार होने के स्वरूप का दर्शन कर जय श्री महाकाल का उद्घोष भी किया।

अखण्ड दीप हेतु 91 लीटर घी दान में प्राप्त
श्री महाकालेश्वर मंदिर के श्री गर्भगृह में जलने वाली अखंड ज्योति (नन्दा दीप) हेतु शिव-शक्तिधाम (दुर्गापुर) एवं श्री महामृत्युंजय मठ(महाकाल लोक) स्वामी प्रणव पुरी द्वारा 91 लीटर घी की सेवा अर्पित हुई। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति की ओर से प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ द्वारा स्वामी प्रणव पुरी का सम्मान किया गया व विधिवत रसीद प्रदान की गई।