मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संकल्प लिया था कि श्रद्धालुओं को आगामी सिंहस्थ-2028 में क्षिप्रा नदी के निर्मल जल में ही स्नान कराया जाए। इसी संकल्प की पूर्ति के लिए उज्जैन में सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी, कान्ह क्लोज डक्ट एवं हरियाखेड़ी परियोजनाएं प्रारंभ की गई हैं, जिनसे न केवल क्षिप्रा नदी में पूरे वर्ष निर्मल जल रहेगा अपितु उज्जैन नगर को पेयजल के लिये भी शुद्ध जल उपलब्ध हो सकेगा। क्षिप्रा नदी में जल की कमी के चलते पूर्व के सिंहस्थ आयोजनों में स्नान के लिए गंभीर और नर्मदा नदी का जल प्रवाहित किया गया था। परियोजनाओं से मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी सदानीरा होगी और सिंहस्थ-2028 में आने वाले श्रद्धालु क्षिप्रा नदी के निर्मल जल में ही स्नान करेंगे।
सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना का मुख्य उद्देश्य वर्षा ऋतु में क्षिप्रा नदी के जल को सिलारखेड़ी जलाशय में एकत्र कर पुनः आवश्यकता अनुसार क्षिप्रा नदी में प्रवाहित कर निरन्तर प्रवहमान बनाना है। इस परियोजना में ग्राम सेवरखेड़ी में 1.45 मिलियन घन मीटर क्षमता का बैराज निर्माण कर, यहां से 3 मीटर व्यास के 6.50 कि.मी. पाईप लाईन द्वारा क्षिप्रा नदी का जल सिलारखेड़ी जलाशय में संचित किया जावेगा। इसके लिये सिलारखेड़ी जलाशय की क्षमता 51 मिलियन घन मीटर तक बढ़ाई जायेगी। सिलारखेड़ी जलाशय में संचित जल 1.80 मी. व्यास की 7.00 कि.मी. लम्बी पाईप लाईन द्वारा पुनः क्षिप्रा नदी में ग्राम कुंवारिया के समीप आवश्यकता अनुसार छोड़ा जायेगा। परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति 614.53 करोड़ रूपये और तकनीकी स्वीकृति 569.43 करोड़ रूपये जल संसाधन विभाग से प्राप्त है। परियोजना में निर्माण कार्य की समय-सीमा अनुबंध दिनांक से 30 माह रखी गई हैं, जिसमें 5 वर्षों का संचालन और रख-रखाव का प्रावधान किया गया है। परियोजना पूर्ण हो जाने से क्षिप्रा नदी को स्वच्छ एवं निरन्तर प्रवहमान किया जा सकेगा एवं उज्जैन शहर की आगामी पेयजल की मांग की पूर्ति भी की जा सकेगी।
कान्ह नदी के जल के व्यपवर्तन के लिये 30.15 किमी लंबाई (18.15 किमी कट एंड कवर भाग एवं 12 किमी टनल भाग) की कान्ह डायवर्जन क्लोज डक्ट परियोजना निर्माणाधीन है। इसके कट एंड कवर भाग में खुदाई एवं पीसीसी कार्य, टनल भाग में चार शाफ़्ट के माध्यम से वर्टिकल एवं हॉरिजॉन्टल खुदाई का कार्य और कास्टिंग यार्ड में प्री-कास्ट सेगमेंट की कास्टिंग का कार्य प्रगतिरत है। परियोजना के शुरुआती 6.90 कि.मी. कट एंड कवर भाग में खुदाई एवं पीसीसी कार्य प्रगतिरत है। परियोजना अंतर्गत उपयोग में लाए जाने वाले प्री-कास्ट सेगमेंट की कास्टिंग का कार्य ग्राम गंगेडी में स्थित कास्टिंग यार्ड में जारी है। प्री-कास्ट सेगमेंट्स को कास्टिंग यार्ड से परियोजना के एलाइनमेंट तक पहुंचाने एवं पीसीसी बेड पर रखने और आपस में जोड़ने का कार्य जल्द ही प्रारंभ होगा। परियोजना के टनल भाग अंतर्गत चार शाफ़्ट क्रमशः ग्राम पालखेड़ी, चिंतामन जवासिया, बामोरा एवं देवराखेड़ी में स्थित है। शाफ़्ट नंबर 01 एवं 02 में वर्टिकल खुदाई का कार्य प्रगतिरत है और शाफ़्ट नंबर 03 एवं 04 में वर्टिकल खुदाई पूर्ण की जा चुकी है एवं हॉरिजॉन्टल खुदाई का कार्य प्रगतिरत है। सितम्बर 2027 तक यह परियोजना पूर्ण होगी और कान्ह नदी का अशुद्ध पानी उज्जैन शहर की सीमा से बाहर गंभीर डाउन स्ट्रीम में स्वच्छ कर छोड़ा जाएगा।
यह परियोजना इतनी बड़ी और इतनी व्यवस्थित है कि बड़े-बड़े डंपरों से टनल में जाकर कान्ह नदी की गंदगी को भी साफ किया जा सकेगा और समय-समय पर कान्ह के प्रवाह को रोक कर पानी को साफ किया जाएगा। इसके लिए चार जगहों पर बड़े-बड़े कुआंनुमा शाफ्ट बनाए जा रहे हैं। इसके माध्यम से बड़ी-बड़ी जेसीबी और डंपर जमीन के अंदर उतरेंगे और इन सबसे गंदगी को साफ कर बाहर निकाला जाएगा। वर्तमान में जो एजेंसी इस परियोजना पर कार्य कर रही है वही इस परियोजना को 15 वर्ष तक संचालित करेगी।
सिंहस्थ-2028 के कार्यो को दृष्टिगत रखते हुए सेवरखेड़ी एवं सिलारखेड़ी जलाशय और हरियाखेड़ी परियोजना से उज्जैन शहर में जल प्रदाय व्यवस्था गंभीर बांध के साथ आसानी से की जा सकेगी। अतिरिक्त जल प्रदाय व्यवस्था के लिए 100 मिलियन घन मीटर का जल शोधन संयंत्र हरियाखेड़ी में स्वीकृत है। श्रीमहाकाल महालोक बनने के कारण शहरी आबादी एवं दर्शनार्थियों की संख्या में अपार वृद्धि हुई है। सिंहस्थ-2028 के दृष्टिगत उज्जैन शहर का निरंतर विस्तार हो रहा है शहर के चारों ओर 5-5 किलोमीटर का क्षेत्र बढ़ गया है। उज्जैन शहर की जनसंख्या में भी वृद्धि हुई है, इस कारण गंभीर बांध से सम्पूर्ण रुप से जल आपूर्ति संभव नही हो पाती। इन सभी परियोजनाओं से क्षिप्रा नदी में स्नान के लिए निर्मल जल के साथ ही शहर में शुद्ध पेयजल व्यवस्था भी सुनिश्चित की जा सकेगी।