प्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेशहोम

शिवराज कारपोरेट फ्रेंडली नहीं,अफसरो की उद्योग जगत में पकड़ नहीं।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सहज,सरल,जननायक, भले ही हो पर कारपोरेट जगत का भरोसा नहीं जीत पा रहे है। 12 अगस्त को मुंबई में इंवेंस्टर मीट के लिए किए गए रोड शो में आए निवेशकों की नज़र में वे उम्दा राजनेता जरूर है पर कारपोरेट फ्रेंडली नहीं है।
कारपोरेट जगत के जानकार बताते है कि शिवराज में देश के अन्य मुख्यमंत्रियों की तरह भरोसा दिलाने की कमी नज़र आती वे अपने अफसरों पर ज्यादा निर्भर रहते है।
मुम्बई के शो में निवेश से ज्यादा निजी बाते ज्यादा हुई। एक सज्जन अपनी सैकड़ो एकड़ जमीन पर कब्ज़ा छुड़ाने के लिए आए तो कुछ निवेशक ज़मीन हासिल करने की योजना से आए थे। एक भी गंभीर निवेशक नज़र नहीं आया। लाइजनिंग और दोयम दर्जे के लोग जरूर सक्रीय दिखे।
अंदर के सूत्र बताते है कि इंवेंस्टर मीट के लिए उस स्तर की तैयारी ही नहीं है।
प्रदेश के चार औद्योगिक विकास केंद्र ने अपने अपने कार्यक्षेत्र में कितनी जमीन उपलब्ध है यह तो बता दिया लेकिन किस क्षेत्र में कौनसा उद्योग लगाना ठीक रहेगा इसकी कोई जानकारी नहीं दी।
मंत्रालय के सूत्र बताते है कि मुख्यमंत्री को भी तैयारी नहीं कराई गई। कारपोरेट जगत क्या सुनना चाहता है,किस बात का भरोसा चाहता है,किस तरह की भाषा समझता है,इसकी जानकारी भी शिवराज को नहीं दी गई, लिहाजा उनका भाषण चुनावी ज्यादा लगा।
पता नहीं क्यों उत्तरप्रदेश,बंगाल,उड़ीसा,जैसे प्रदेश हमसे ज्यादा इन्वेस्टमेंट ला रहे है जबकि इन प्रदेशो में जमीनी स्थितियां हमसे खराब है। मुम्बई के कारपोरेट मामलों के एक सलाहकार ने इसका कारण मुख्यमंत्री का व्यक्तित्व बताया। उनके अनुसार अखिलेश,ममता और नवीन पटनायक स्वंय निर्णय करते है व्यक्तिगत सम्बन्ध रखते है,तथा परियोजनाओं की खुद मॉनिटरिंग करते है। मध्यप्रदेश में यह खास कमी है यहाँ अफसर ही मुख्य भूमिका में होते है।
प्रदेश में निवेश कर चुके एक उधमी ने बताया कि उसका अनुभव अफसरराज के कारण खराब रहा है जबकि गुजरात में उसे मुख्यमंत्री से मिलने के बाद दो दिन में ही सारी अनुमतियां मिल गयी।
बहरहाल मध्यप्रदेश में सब कुछ है जिसके कारण निवेश आ सकता है पर राजनीतिक नेतृत्व में प्रशासनिक दक्षता और निर्णयन का आभाव है।
बहरहाल देखना है इंवेंस्टर मीट में कितना वास्तविक निवेश आता है या इस तरह के रोड शो सिर्फ सैर सपाटा बनकर रह जाते है।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline