देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेश

भाजपा के फोकस पर लौट आए दीनदयाल उपाध्याय । भाजपा अपना “पितृदोष” दूर करने के प्रयास में।

भाजपा का मिशन उत्तरप्रदेश और मिशन 2019 अब दीनदयाल उपाध्याय के इर्द गिर्द ही केंद्रित रहेगा। उत्तरप्रदेश में दीनदयाल ब्राह्मण वोटरों को लुभाने के काम आएंगे और शेष भारत में उनके मुसलमानों,दलितों एवं समाज के अंतिम व्यक्ति के लिए दिए गए विचार भाजपा के प्रचार अभियान का केंद्र बिंदु रहेंगे। भाजपा दीनदयाल पर लौटकर अपना पितृदोष दूर करने का प्रयास कर रही है।
यद्पि भाजपा हमेशा से दीनदयाल जी को अपना पितृपुरुष मानती रही है,उनके स्मारक,मुर्तिया और चित्र भी बनाती और लगाती रही है लेकिन उनके सिद्धान्तों एवं विचारो को कार्यरूप में शायद ही कभी लाया गया है।
दीनदयाल जी के एकात्मक मानवतावाद के विकास मॉडल की सबसे ज्यादा अवहेलना भाजपा सरकारों ने ही की है।
कालीकट में पितृपक्ष में भाजपा को अपने पुरखे फिर याद आए,अपना राजनीतिक पितृदोष दूर करने के लिए पार्टी अब फिर दीनदयाल जी के विचारों पर लौटना चाहती है।
केंद्र में सरकार बनने के बाद भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं है, वैचारिक अराजकता और सत्ता के दंभ मातृ संस्था संघ को भी चिंतित कर दिया है। संघ ने भाजपा की बीमारी का गहन परीक्षण कर दीनदयाल जी के विचारों की दवा देना तय किया है। अब तक दीनदयाल जी चित्र और प्रतीकों में थे अब कार्यरूप में दिखाई देने वाले है।
भाजपा सूत्रों के अनुसार पार्टी केडर व्यवस्था को सबसे पहले दुरुस्त करेगी, तीन माह,छह माह,सालभर,तथा आजीवन पूर्णकालिक कार्यकर्ताओ की खोज की जायेगी।11 करोड़ सदस्यों के साथ विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक दल का तमगा लेने के बाद अब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की तरह पार्टी सिस्टम बनाया जा रहा है।
सदस्यता के साथ विचारधारा पर जोर रहने वाला है।
पूरे देश को जोन में विभाजित कर संगठन केंद्र बनाए जा रहे है जहाँ पूर्णकालिक कार्यकर्त्ता तैयार होंगे।
सूत्रों के अनुसार अभी एकात्मक मानवतावाद को फोकस नहीं किया जायेगा। सिर्फ मुसलमानों और दलितों के लिए दीनदयाल जी के विचारों का प्रचार प्रसार होगा।
सादा जीवन उच्च विचार शैली लौटने वाली है।
सत्ता पर इसका कितना असर होगा यह अभी तय नहीं है।
बहरहाल इस पितृपक्ष में भाजपा ने अपना पितृदोष दूर करने का अनुष्ठान शुरू कर दिया है।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline