खेल/क्रिकेटदेशप्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेश

पटवा-वर्मा की” दिग्विजय माफ़ी” और उमा भारती की सफाई से भाजपा मै बैचेनी।

भोपाल। दिग्विजय सिंह से कोर्ट में माफ़ी मांगकर पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा और पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा ने भाजपा में बैचेनी पैदा कर दी है। इस बैचेनी को उमा भारती की सफाई ने घबराहट में बदल दिया है।

दिग्विजय सिंह द्वारा दायर एक मानहानि के एक प्रकरण में पटवा और वर्मा पर आरोप था की उन्होंने 1998 के विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान उन्हें बेईमान और घोटालेबाज कहा था। इस प्रकरण में पटवा और वर्मा इस आशय के कोई सबूत पेश नहीं कर पाए। लिहाजा दोनों ने लिखित में दिग्विजय सिंह को ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ मानकर माफ़ी मांग ली। दिग्विजय सिंह ने भी अपना प्रकरण वापस ले लिया।
जैसे ही यह खबर फैली भाजपा में तीखी लेकिन दबे स्वरों में प्रतिक्रिया आने लगी। वर्तमान भाजपा के अलंबरदार सकते में आ गए।
इसी तरह के दूसरे प्रकरण में दिग्विजय सिंह से मुकाबिल हो रही पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी आनन फानन में अपनी प्रतिक्रिया में कह दिया की दिग्विजय को मि.बंटाधार कहने के लिए वे अकेली जिम्मेदार नहीं है,इसमें पूरी पार्टी और तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष कैलाश जोशी एवं संगठन महामंत्री कप्तान सिंह सोलंकी की सहमति भी शामिल है।
पटवा-वर्मा की माफ़ी और उमा भारती की सफाई के बाद भाजपा खेमे में यह विचार मंथन शुरू हुआ कि इन प्रकरणों में क़ानूनी तौर पर कहा चूक हुई है।
13 साल से दिग्विजय को कोस रही भाजपा के लिए यह बड़ा झटका है। हालांकि शिवराज सिंह ने भी दिग्विजय सिंह को इसी तरह के मानहानि प्रकरण में उलझा रखा है।
इस पुरे मामले को संघ के श्रेष्ठी वर्ग ने गंभीरता से लिया है। संघ को निशाने पर रखने वाले दिग्विजय की इन जीत से संघ कसमसा गया है। संघ सूत्र इसे पटवा -वर्मा के निजी कार्यकलाप के आईने में भी देख रहे है।
बहरहाल दिग्विजय सिंह को मध्यप्रदेश की बदहाली के लिए जिम्मेदार बताने वाले भाजपा नेताओं की बोलती बंद हो गई है।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline