देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम से

यूपी चुनाव-पंडित जी परेशान,ठाकुर साहब हैरान। सपा,बसपा,भाजपा,दलित पिछड़ों पर मेहरबान।

लखनऊ। यूपी चुनाव का मज़मा लग चुका है। ब्राह्मण मतदाता परेशान है,ठाकुर हैरान है। राजनीतिक दल सपा,बसपा,भाजपा,दलित और पिछड़ों पर मेहरबान है। दशकों तक यूपी की राजनीति में निर्णायक रहे ब्राह्मण और ठाकुर मतदाता असमंजस में है उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि

विधानसभा चुनाव में किसके साथ जाय?,किस दल में उसका भविष्य उज्जवल रहेगा,किसकी सरकार में उनकी सुनी जायेगी,कोन सा दल उन्हें सम्मान और अधिकार देगा?। कहा स्वाभिमान बरकरार रहेगा?।
इन प्रश्नों का उत्तर किसी भी दल में नहीं मिल रहा है। याद रहे कि उत्तरप्रदेश की राजनीति में कई दशक तक ब्राह्मण एवं ठाकुरो का वर्चस्व रहा है।
सपा में अमरसिंह की वापसी के बाद ठाकुर मतदाता थोड़ा बहुत उससे जुड़ सकते है। लेकिन राजनाथ सिंह के कारण उनका झुकाव भाजपा की और भी है।
बसपा के साथ ब्राह्मण तो जा सकते है लेकिन ठाकुरों का संकोच अभी भी कायम है।
ब्राह्मण और ठाकुर मतदाताओं की चिंता इस बात को लेकर है कि वर्तमान राजनीतिक माहौल में उनका महत्त्व कम होता जा रहा है। उनका स्वाभिमान और बजूद खतरे में है। कभी प्रदेश के कर्ताधर्ता रहे इस वर्ग में खदबदाहट अब सामने आने लगी है।
भाजपा ने लक्ष्मीकांत वाजपेयी को हटाकर केशवप्रसाद मौर्य को कमान दी है लेकिन ब्राह्मण मतदाताओं की नाराजगी को भांपकर शिवप्रताप शुक्ल को राज्यसभा में भेजकर तथा महेंद्र पांडेय को केंद्र में मंत्री बनाकर डेमेज कंट्रोल की कोशिश जरूर की है। भाजपा ठाकुरो को लेकर राजनाथ सिंह पर आश्रित है।
बहरहाल ब्राह्मण एवं ठाकुर मतदाता असमंजस में है वे सिर्फ सम्मान,स्वाभिमान,और सत्ता में आनुपातिक हिस्सेदारी चाहते है।
पंडित जी और ठाकुर साहब का कंफ्यूजन क्या गुल खिलायेगा यह देखना दिलचस्प होगा।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline