प्रकाश त्रिवेदी की कलम सेभोपालमध्य प्रदेशशहडोल

शिवराज के सामने बौने होते कांग्रेस नेता …

  •  भोपाल samacharline ।

    सुभाष यादव,सुरेश पचौरी,कांतिलाल भूरिया,अरुण यादव जैसे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हो या अजय सिंह,सत्यदेव कटारे,बाला बच्चन जैसे नेता प्रतिपक्ष सब के सब मुख्यमंत्री शिवराज के आगे दम नहीं मार पाए है। यहाँ तक कमलनाथ,ज्योतिरादित्य सिंधिया,दिग्विजय सिंह तक शिवराज के राजनीतिक आभामंडल को तोड़ नहीं पा रहे है।

    एक के बाद एक उपचुनाव में कांग्रेस हारती जा रही है,कार्यकर्ता का मनोबल टूट रहा है क्यों ?

    कांग्रेस को अब आत्ममंथन की जरुरत है गनीमत है कि प्रदेश में उसके पास वोट है विकल्प के रूप में यहाँ कोई नहीं है अन्यथा अन्य प्रदेशों की तरह यहाँ भी कांग्रेस का आधार वोट किसी क्षेत्रीय दल के पास शिफ्ट हो सकता था। आखिरकार कांग्रेस की इतनी बुरी गत क्यों हो रही है ? सवाल लाजमी है और जबाब कड़वा है। प्रदेश की राजनीति का अध्ययन करने वाले बताते है कि दिग्विजय सिंह के बाद कांग्रेस के पास विश्वसनीय चेहरा नहीं है।

    कमलनाथ नेताओ के नेता है, वे 1980 से सांसद है लेकिन प्रदेश की जमीन से नहीं जुड़ पाए है। दिग्विजय सिंह अपने खराब शासन और बोल वचन के कारण अब तक प्रदेश के मतदाताओं में अलोकप्रिय बने हुए है। ज्योतिरादित्य सिंधिया जरूर प्रभावी हो सकते है, उनका अभिजात्य व्यक्तित्व मालवा,  और मध्यभारत में स्वीकार्य है। उनकी राजनीतिक स्वीकार्यता भी बढ़ रही है,कांग्रेस कार्यकर्ता उन्हें आशा और उम्मीद से देख रहे है। उनमें युवा छवि और करिश्माई व्यक्तिव का लोकप्रिय मिश्रण है। राजमाता, माधवराव जी की पुण्याई भी उनकी पूंजी है। इतने प्लस पॉइंट होने के बाद भी कांग्रेस आलाकमान उन्हें मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करने में क्यों हिचक रहा है। जबकि सामान हालातों में राजस्थान में सचिन पायलट को कमान दे दी गई है,वे धीरे धीरे सफल भी हो रहे है। कांग्रेस की राजनीति के जानकार मानते है कि सिंधिया का आना कमाल कर सकता है।

    बहरहाल भाजपा शिवराज के भरोसे है और 11 साल हो जाने के बाद भी उनके कद और आभामंडल के आगे सब के सब फीके है। कांग्रेस को क्षेत्र के आधार पर जमीनी नेताओ की फ़ौज तैयार करनी होगी तथा आत्ममंथन कर के बूथ लेवल पर सुप्त अवस्था में पड़े कार्यकर्ता  को जगाना पड़ेगा तथा उसे सम्मान देना होगा तभी कांग्रेस मुकाबले में आ सकती है,यह सब करने के लिए ऊर्जावान और 1993 के दिग्विजय सिंह की तरह मेहनती एवं चतुर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जरुरत होगी,देखना है कांग्रेस आलाकमान शहडोल और नेपा नगर की हार से क्या सबक लेता है।

    | प्रकाश त्रिवेदी@samacharline |