देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम से

बिहार में नीतीश -भाजपा की सरकार कभी भी …..। जानिए क्यों ऐसा संभव है ?

पटना। पटना के गांधी मैदान में किसी भी दिन नितीश कुमार और भाजपा की मिलीजुली सरकार का शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है। नोटबंदी का समर्थन और 28 को भारत बंद का विरोध करके बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने इशारों इशारों में भाजपा से नजदीकियां का संकेत दिया है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का नितीश को धन्यवाद और अभिनन्दन करने की बात कहना साबित करता है कि कही न कही नितीश और भाजपा के बीच खिचड़ी पक रही है।

नितीश कुमार के निकटवर्ती सूत्रों के अनुसार लालू यादव के साथ कई दिनों से खुद को असहज पा रहे नितीश उनके बेटों और राजद के मंत्रियों से परेशान है। अपनी छवि को लेकर बेहद सतर्क रहने वाले नितीश खुद की पाक साफ और ईमानदार छवि को बरकरार रखना चाहते है।
नितीश कांग्रेस के साथ भी सहज सम्बन्ध रहने के पक्षघर रहे है लेकिन कांग्रेस की घटती लोकप्रियता को लेकर वे संशय में है।
नितीश बाबू को जानने वाले जानते है कि खुद की छवि के लिए वे कुछ भी कर सकते है। शरद यादव दिल्ली में कुछ भी कहे,विपक्ष के साथ कितनी ही पींगें बढ़ाए लेकिन जेडीयू भारत बंद में साथ नहीं होगा इसका निर्णय पटना में नितीश ही करते है।
बिहार चुनाव के पूर्व जेडीयू की कमजोरी और उसके नेताओ की कारगुजारियों के कारण मन मारकर लालू से हाथ मिलाने वाले नितीश हमेशा से भाजपा के साथ सहज रहे है। भाजपा नेता और उनके पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के साथ उनकी केमेस्ट्री कामयाब रही है। जीएसटी पर रुख हो या अन्य प्रशासनिक सुधार नितीश हमेशा भाजपा के पक्षधर रहे है।
सूत्र बताते है कि बिहार चुनाव के समय भाजपा का अहम् भी अब दरक गया है उसे नितीश जैसे विश्वसनीय नेता की जरुरत है। यदि यूपी चुनाव के पूर्व भाजपा और नितीश में गठबंधन होता है तो वहाँ भी तस्वीर बदल सकती है।
वैसे भी बिहार विधानसभा में भाजपा और जेडीयू की विधायक संख्या जरुरी बहुमत से ज्यादा ही है।
बहरहाल अभी नितीश के समर्थन को केवल मुद्दों के आधार पर समर्थन मानकर ख़ारिज नहीं किया जा सकता है क्योंकि नीतीश बाबू 24 घंटे सिर्फ राजनीति ही करते है। नोटबंदी पर उनकी और मोदी की बॉडी लेंग्वेज एक जैसी ही है।

प्रकाश त्रिवेदी @samacharline