देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेश

नोटबंदी- अब जेटली संघ और पार्टी के निशाने पर।

नई दिल्ली। नोटबंदी के फैसले को लागू करने में नाकाम रहे बैंकिंग सेक्टर को लेकर संघ और भाजपा संगठन में गहरी नाराजगी है। इस नाराजगी का शिकार वित्तमंन्त्री अरुण जेटली हो रहे है। बैंको में अंदरखाने हुए अदला बदली और कमीशन के खेल ने नोटबंदी के पवित्र उदेश्य को पलीता लगा दिया है।
कालाधन और आतंकवाद के खात्मे का मुल्लमा ओढे जनमानस अब बिखरने लगा है। संघ और भाजपा का शिखर नेतृत्व इसके लिए वित्तमंन्त्री अरुण जेटली और उनके लचर प्रबंधन को दोषी मान रहा है। जेटली ने संघ मुख्यालय जाकर सफाई भी दी है।
संघ और भाजपा का समन्वय देख रहे वरिष्ठ नेताओं के समूह ने प्रधानमंत्री के साथ अपनी बैठक में जेटली की कार्यप्रणाली को लेकर अपनी राय से अवगत करा दिया है। संघ की मंशा भांपकर ही सुब्रमण्यम स्वामी लगातार जेटली पर हमले कर रहे है।
संघ समर्थित अर्थचिंतको के समूह ने भी बैंकों की भूमिका पर सवाल उठाये है। एक और जहाँ एटीएम पर लंबी लंबी लाइने लगी है और आम जन को प्राप्त राशि नहीं मिल रही है वही लाखों करोड़ों की बरामदी से संघ और संगठन सकते में है। बैंकिंग सिस्टम में भ्रष्टाचार ने अर्थतंत्र की शुचिता के प्रयास पर अनेक सवाल खड़े कर दिए है।
बैंकिंग प्रणाली के अलावा नए नोटों की छपाई और उनकी तत्काल उपलब्धता में भी ढिलाई बरती गई है। कागज और इंक तक की उपलब्धता पर आकलन गलत साबित हुए है।
नोटबंदी के प्रधानमंत्री के अभियान को मॉनिटरिंग कर रहे पीएमओ के उच्च पदस्थ अधिकारियों ने भी जेटली और वित्त मंत्रालय की भूमिका को समीक्षा योग्य पाया है।
सूत्रों में अनुसार प्रधानमंत्री 30 दिसंबर तक देखो और समझों की रणनीति से चल रहे है।
नए साल में नए वित्तमंत्री के लिए कवायद शुरू होगी। स्वामी इसीलिए बेताब है।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline