उज्जैनदेशप्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेश

केरल को कश्मीर बनाने की साजिश।

उज्जैन। ईश्वर की अपनी भूमि केरल लाल आतंक से रक्तिम हो रही है। वैचारिक लड़ाई जो तर्क के हथियार से समाज के मंच पर लड़ी जाना चाहिए,हिंसक तरीके से लड़ी जा रही है। ढहते वामपंथ के आखिरी किले की चुले हिल गयी है लिहाजा चुन चुन कर राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं की हत्या की जा रही है। वामपंथी भी इस हिंसा में अपने लोग खो रहे है पर इसकी शुरूआत उन्होंने ही की है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पूरे देश में केरल की घटनाओं के विरोध में धरना दिया है। सवाल उठता है संघ विचारधारा की केंद्र सरकार क्या कर रही है। संविधान के प्रावधानों के तहत केरल की वामपंथी सरकार से कितनी बार जबाब तलब हुआ है। कितने बार एडवाइजरी जारी की है या कितनी बार इस मुद्दे पर रिपोर्ट तलब की है।
केरल में वामपंथ अंतिम सांसे ले रहा है बढ़ाते वामपंथी हताशा और हीनता का शिकार हो गए है। दुनिया भर से वामपंथ सत्ता से वापस किताबो में चला गया है,चीन,रूस और क्यूबा तक में अब वामपंथ का ज्यादा उदार,बाजारवादी,लोकतान्त्रिक स्वरुप आ चुका है लेकिन भारत के वामपंथी सुधार के खिलाफ है।
विचार के विस्तार के लिए वे विमर्श के स्थान पर हिंसा को जायज मानते है। केरल में दशकों से राजनीतिक हत्याएं हो रही है। कांग्रेस के कार्यकताओं को भी मारा गया है। पर सबसे ज्यादा निशाना संघ के कार्यकर्त्ता बने है।
कालीकट से भारतीय जनसंघ की शुरुआत हुई और इसी भूमि पर संघ को अपने सबसे ज्यादा स्वयंसेवको की शहादत देनी पड़ी है।
केंद्र में भाजपा की सरकार है,उसे इस मुद्दे पर कड़ा कदम उठाना चाहिए,राज्य सरकार को सख्त निर्देश देना चाहिए और अब तक हुई हत्याओं की अपने स्तर पर जाँच करानी चाहिए ताकि वामपंथी हिंसा पर रोक लग सके।
केंद्र का दबाब जरुरी है।
इसके अलावा लोकतंत्र की मर्यादा के अनुरूप आपसी सम्वाद भी शुरू होना चाहिए। अटल जी और हरकिशन सिंह सुरजीत में भी अच्छा संवाद था,सोमनाथ चटर्जी इंद्रजीत गुप्त जैसे वामपंथी भी भाजपा और संघ नेतृत्व के साथ सहज थे।
केरल का अतिवादी वामपंथ जिसकी अगुआई पुनराई विजयन करते है को भी समझना होगा कि सत्ता आती जाती रहती है,अब उनका गुनाह जगजाहिर हो गया है। संघ की ताकत भी कम नही है।
परन्तु यह सब देश हित में नहीं है। केरल में कश्मीर जितने ही पर्यटक जाते है। लगता है वामपंथी मसाले की भूमि को खून से सींचना चाहते है। यदि केरल हिंसाग्रस्त हुआ तो उसे भी कश्मीर बनने में देर नहीं लगेगी।
केरल के कश्मीर बनने के लिए, वहाँ का धार्मिक स्वरुप और देश विरोधी ताकते आग में घी का काम कर सकती है।
बहरहाल केंद्र केरल को कश्मीर बनने से रोके और राजनीतिक कौशल दिखाकर वामपंथी सरकार को सबक दे।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline