देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम से

गंगा माई को का पसंद है। बनारस से “ठलुआ बनारसी” की खास रपट।

बनारस। गंगा माई तू ही बताए दे तुहार “केसरिया” होली पसंद है या “लाल” या तू नीली चुनर ओढना चाहे है। सयाने जानत सब है पर बतात नाहीं है। बनारस की गलियन में मोदी खूब फिरे है,बाबा की डयोढ़ी पर मत्था भी टेक आए है। कॉल भैरव महाराज के दरबार में भी हाजरी दे दई। लालबहादुर शास्त्री के घर भी हुई आए। मुसलमानन की चदरिया भी माथे पर लगा ली। अब जीतन के लाने का का करवा हो गंगा माई अपने बिटवा से।
अपनों लड़का भी कम नोहीं। सारे ने सबको पचा मारो। पापा, चाचा,भैया,साहब,बुआ सब के सब ऊके सामने मारे मारे फिरत रहे। पन का करे ऊके दबंगई भारी पढ़ने है। काम बोलत है पर अखिलेश बाबू गुंडई भी खूब है। लूटमार खूब है।
बुआ भी खूबई फिरी है। हाथी को जिताने के लिए खूब उड़ो है उनको उड़नखटोला।
खूब जुमला चले है,अच्छे दिन वाले,पत्थर वाली सरकार, अखिलेश बाबू,राहुल बाबा,गधे,श्मशान, कब्रिस्तान,मेरे अंगनें तुमार का काम है। गुजराती भाई। अखिलेश-राहुल की गलबहियां भी खूब जमी। रैली,रैला, मेला,ठेला खूब लगे।
सारी उम्मीदन की दुकान लग गयी हती चुनावन के बाजार में।
गंगा माई तू अब बता तुहार बिटवा जीतन रहा या यूपी के लड़के को तुहार आशीष मिलत रहा। बुआ मायावती वे तो खुद ही देवीन है। उनका का होना है तू भी नाही
बताई सकत है।
भला हमें करने का है कोऊ जीते।
यूपी का भला होना चाहिए।
सड़कन बन जाए,रोजी रोटी मिल जाए,गुंडई न हो। माई हम रोज तुहार साफ जल में पाप धो पाए। चैन से लिट्टी चोखा खा सके,कचौड़ी सब्जी खा सके, फजीहत की चाय पी सके। मगई का पान रचाए सके। इलाज विलाज हुई जाए। और का चाही।
मोदी जी आए,अखिलेश भैया आए,बुआ जी आए या सब मिलजुलकर आए,हमें का, हम तो अपनी बात बताए चुके।
माई घंटन से अस्सी घाट पर धूनी रमाए है। बाबा को जल चढ़ा के,ठंडाई भी ले लई है।
अब तो बता दे माई कौन यूपी का राजा बनबे।
ठीक है मत बता पर इतना जान
लेई ई दफा हमने तुहार मर्जी से ही वोट दव है। हमाए वोट की लाज तुहार हाथन में है।
अब जात है 11 को मिलबी काल जौनपुर जाने है लगन में ।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline