देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेश

उत्तराखंड-भाजपा के रावत की राह आसान नही।

हरिद्वार। देवभूमि में प्रवेश करते ही पता लग जाता हैं कि हरीश रावत क्यो हारे। रुड़की से हरिद्वार तक सड़क खराब है। हरिद्वार में भी सड़को में गड्ढे ही गड्ढे है। देवभूमि के लोगो को भाजपा के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बहुत आशा है। विकास के रथ पर सवार रावत की मुश्किलें भी कम नही है।
उत्तराखंड की राजनीति के जानकार संत ब्रह्मज्योति कहते है कि इतनी भारी भरकम विधानसभा कभी नही रही। भाजपा का हर दूसरा विधायक सीएम का दावेदार था।
भाजपा ने अपेक्षित सतपाल महाराज के स्थान पर त्रिवेंद्र सिंह रावत को उनकी संघ प्रचारक की पृष्ठभूमि के कारण चुना है लेकिन उत्तराखंड की राजनीति में उनकी स्वीकार्यता कम है। उनको खुद को साबित करना होगा। भाजपा में सीएम उम्मीदवारों की फोज से भी दो चार होना होगा।
देवभूमि को अब विकास की दरकार हैं पर्यटक तभी आते है जब उनको सुरक्षित रहवास और सड़के मिले। रावत की पहली प्राथमिकता पहाड़ो तक पहुंच को सुगम और सुरक्षित बनाना ही है।
पहाड़ो पर पीने के पानी,अस्पताल और डॉक्टरों की भी कमी है।
देवभूमि में अवैध खनन और पर्यावरण विरोधी निर्माण भी बड़ी चुनोती है। राजनीतिक समर्थन के बिना इसे रोकना संभव नही है। रावत को सख्ती और इच्छाशक्ति भी दिखना पड़ेगी।
रावत के पास मोदी और अमित शाह का वरदहस्त है। इसलिये फिलहाल उनके हाथ खुले है। उन्हें योगी आदित्यनाथ की तरह ही सक्रियता दिखानी होगी। कानून व्यवस्था दुरुस्त करनी होगी। सरकार में गहरे तक फैले भ्रष्टाचार पर लगाम कसनी पड़ेगी।
बहरहाल हर की पौड़ी पर गंगा का प्रवाह देवभूमि की अपेक्षाओं को प्रतिबिंबित करता है। रावत को सुशासन और विकास की राह पर उतनी ही तेजी से चलना है जितना गंगा का प्रवाह है। अगर चूक हुई तो हर तट पर भागीरथ विराजमान है।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline