देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेश

मध्यप्रदेश कांग्रेस में अराजकता।

भोपाल। मध्यप्रदेश में भाजपा को चुनोती कौन देंगा?। कांग्रेस में यह यक्ष प्रश्न अरसे से जबाब तलाश रहा है। हाई कमान के कान पर जूं भी नही रेंग रही है।
कभी कमलनाथ का नाम चलता है,कभी ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम आता है। कभी यह सूचना आती है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ही भाजपा को चुनोती देंगे। प्रदेश कांग्रेस अराजकता का शिकार हो गई है।
13 साल से कांग्रेस सत्ता से बाहर है। प्रदेश में सरकार जाने के बाद नगरीय निकायों,पंचायतीराज से भी कांग्रेस सत्ता से बाहर होती गई। लिहाजा पार्टी का जनाधार घटता गया है। अनुसूचित जातियों का समर्थन भी पार्टी खो चुकी हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव प्रभाव नही छोड़ पा रहे है। वे जनमानस में छवि नही बना पाए है। उनकी टीम की विश्वसनीयता पार्टी कार्यकर्ताओं में ही नही है। आम कांग्रेसी कार्यकर्ता उनको नेता मानने को तैयार नही है।
शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री होने के बाद पूरे प्रदेश में घूमते है। हमेशा चुनावी मोड में रहते है। सत्ताधारी भाजपा बूथ लेबल तक सम्मेलन कर रही है। पूर्णकालिक और पार्टी को समय देने वाले समयदानियों का प्रशिक्षण वर्ग लगा रही है। अभी से 2018 की तैयारी हो रही है। पार्टी के पास मतदाता सूची अनुसार पेज प्रमुख तक कि व्यवस्था है। भाजपा का चुनाव प्रबंधन सक्रिय हो गया है।
जबकि कांग्रेस में अभी भी ब्लाक अध्यक्षों को लेकर विवाद की स्थिति बन रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने कई ब्लाक अध्यक्ष बदल दिए है। हटाए गए नेताओं ने यादव के आदेश को मानने से इंकार कर उन्हें सीधे चुनोती दे दी हैं।
धीरे धीरे जमीन खोती जा रही कांग्रेस को विश्वसनीय चेहरे की जरूरत है। 1993 में दिग्विजय सिंह ने जो मेहनत की थी वैसी मेहनत की दरकार है। सबसे खास बात कार्यकर्ताओं में आत्मविश्वास और जीत का जज्बा पैदा करना जरूरी है।
कभी कमलनाथ को कमान देने की बात होती है कभी ज्योतिरादित्य सिंधिया को नेतृत्व देने की चर्चा चलती है। कभी अरुण यादव के रूप में यथास्थिति की सूचना आती है। आखिर कांग्रेस आलाकमान मध्यप्रदेश को लेकर उदासीन क्यो है?। राजस्थान और गुजरात मे टीम बना दी गई है। फिर मध्यप्रदेश की उपेक्षा क्यों?।
बहरहाल प्रदेश कांग्रेस में अराजकता का वातवरण है। संघ की कसौटी पर कसे भाजपा के चुनाव प्रबंधन से कांग्रेस कैसे और किसके नेतृत्व में मुकाबिल होगा यह सवाल अब भी जबाब तलाश रहा है।

प्रकाश त्रिवेदी@samaharline