देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेश

मोदी के सर्वे में आधे से ज्यादा भाजपा सांसद फैल।

नई दिल्ली। तीन साल-बेमिसाल का नारा लगा रही मोदी सरकार के कामकाज से लोग भले ही खुश हो पर अपने सांसदों से मतदाता खासे नाराज है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर पीएमओ द्वारा कराए गए भाजपा सांसदों के कामकाज पर कराए गए सर्वे में ज्यादातर भाजपा सांसद फैल हो गए है।
गौरतलब है कि तीन साल पूरे होने के बाद मोदी-शाह की जोड़ी का सारा फोकस 2019 के लोकसभा चुनाव पर है। भाजपा ने अपने सांसदों का गुप्त सर्वे के आधार पर रिपोर्ट कार्ड तैयार कराया है। तीन चरणों मे सर्वे होना है,पहला चरण पूरा हो चुका है। दूसरा सर्वे गुजरात चुनाव के बाद होगा। तीसरा और निर्णायक सर्वे जनवरी 2019 में किया जाएगा।
भाजपा के उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार दुनियाभर में सबसे ज्यादा विश्वसनीय जनमत सर्वे करने वाली चार एजेंसियों से यह सर्वे कराया जा रहा है।
सर्वे में सांसदों का लोक व्यवहार,आचरण,मतदाताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच छवि,कामकाज का तरीका,प्रशासन के साथ तालमेल,तथा मतदाताओं की सन्तुष्टि को आधार बनाकर रिपोर्ट तैयार की गई है।
सर्वेक्षण से जुड़े सूत्र बताते है कि उत्तरप्रदेश, बिहार,मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र के ज्यादातर सांसद पहले दौर के सर्वे में फैल हो गए है। सबसे खास बात यह है कि भाजपा के कार्यकर्ताओं में ही अपने सांसदों को लेकर गहरी नाराजगी है।
सबसे ज्यादा नाराजगी सांसदों की उपलब्धता को लेकर है।
भाजपा की निर्णय प्रक्रिया से जुड़े सूत्र बताते है कि मोदी मिशन 2019 को लेकर कोई जोखिम लेने के मूड में नही है।
सूत्र बताते है कि सांसदों की व्यक्तिगत एन्टीनकंबेंसी ने निबटने के लिए खास योजना बनाई जा रही है।
इस योजना का असर लोकसभा चुनाव के पूर्व कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी होगा।
योजना के अनुसार लगभग 70 प्रतिशत टिकट बदल दिए जाएंगे।
दिल्ली नगरनिगम में इसका सफल प्रयोग भाजपा कर चुकी है।
बहरहाल मोदी का घोषित लक्ष्य 2023 हो लेकिन उनकी पैनी नजर 2019 पर ही है।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline