देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेश

संघ को “75 करोड़” की चिंता।

नई दिल्ली। आर्थिक मौर्चे पर मोदी सरकार के कामकाज से नाखुश संघ के विचार परिवार में “75 करोड़” की चिंता तारी हो गई है। वृंदावन की समन्वय बैठक में भारतीय मजदूर संघ ने 50 करोड़ मजदूरों और लघु उद्योग भारती ने 25 करोड़ व्यापारियों-छोटे उद्योगों का मोदी सरकार से मोहभंग होने की बात पुरजोर तरीके से उठाई थी। ये तबका नोटबंदी और जीएसटी के कारण अपनी कमर टूटने से नाराज है।
आर्थिक क्षेत्र में काम कर रहे संघ के अनुषांगिक संगठनों से जमीनी हकीक़त जानने के बाद संघ के शीर्ष नेतृत्व ने सरकार को सुधरने के लिए 100 दिन दिए है।
भारतीय मजदूर संघ श्रम कानूनों में उसके सुझावों के अनुरूप बदलाव नही होने से मोदी सरकार से नाराज है और यदि जल्द ही सरकार की श्रम एवं रोजगार नीति में अनुकूल परिवर्तन नही हुए तो दिल्ली में 5 लाख मजदूरों को इकठ्ठा कर सरकार विरोधी रैली करने वाला है।
गौरतलब है कि मोदी सरकार नोटबंदी से उपजी आर्थिक मंदी को संभाल नही सकी है, उस पर बैकिंग प्रणाली ने मध्यवर्ग की हालत खराब कर दी है। अनाप सनाप पेनेल्टी लगाकर बैंके नोटबंदी के कारण बेहतर हुई कैशलेस इकॉनमी को नुकसान पहुंचा रही है।
रोजगार निर्माण,जीडीपी,आर्थिक विकास दर और तमाम सूचकांको में मोदी सरकार के फ़िसड्डी रहने को लेकर संघ ने सरकार से सवाल किए है।
भोपाल में 10 अक्टूबर से होने वाली संघ की केंद्रीय कार्यकारणी की बैठक में मोदी सरकार के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पर चिंतन होना तय है।
संघ के उच्च पदस्थ सूत्र बताते है कि जिला प्रचारको के बीच भी सरकार के कामकाज पर आंतरिक सर्वे हुआ है,इसमें भी साफ साफ यह बात सामने आई है कि संघ का मूलाधार फिसल सकता है। नोटबंदी और जीएसटी से संघ के बैकबोन मध्यवर्ग और छोटे एवं मध्यम व्यपारियों तथा लघु उद्योगों को अंदर तक हिला दिया है।
इन वर्गों में सरकार का डर तारी होने लगा है।
भले ही विदेशी मौर्चे सहित कई मोर्चो पर सरकार ने झंडे गाड़े हो या निम्नवर्ग और कारपोरेट वर्ग को प्रसन्न रखा हो पर 75 करोड़ मजदूर-जिसमे सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं-छोटे व्यापारी,लघु उद्योगों की नारजगी 2018-19 में गुल खिला सकती है।
बहरहाल नवम्बर-दिसम्बर में होने वाले गुजरात,हिमाचल,विधानसभा चुनाव में मोदी सरकार का लिटमस टेस्ट हो जाएगा।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline