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शरद पूर्णिमा आयुर्वैदिक शिविर में स्वांस सम्बंधित रोगियों को औषधियुक्त खीर क वितरण

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा श्वाँस से सम्बंधित रोगियों के लिये विशेष तोर पर “शरद पूर्णिमा आयुर्वैदिक उपचार शिविर” क आयोजन दिव्य धाम आश्रम, कुतुबगढ़ रोड, दिल्ली में 5 अक्टूबर 2017, बृहस्पतिवार, रात्रि 8 बजे से सुबह 5 बजे तक किया गया. इस शिविर में दमा, पुरानी खांसी, नजला, श्वाँस से अन्य रोगों के इलाज़ हेतु वेदिककालीन आयुर्वैदिक पद्दति द्वारा निर्मित औषधियुक्त खीर रोगियों को वितरित की गई. पिछले डेढ़ दशक से प्रति वर्ष हज़ारों लोग इन शिविरों के माध्यम से लाभान्वित होते रहे हैं . अश्विन मास की शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली शरद पूर्णिमा को चंद्रमा पृथ्वी के सर्वाधिक नजदीक होने के कारण इसकी किरणों का प्रभाव अमृत तुल्य होता है. शिविर में उपस्थित आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर जय प्रकाश जी ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि शरद पूर्णिमा में शरीर, मन और आत्मा को सुद्रढ़ करनें वाले औषधीय गुण होते हैं. इसी कारण पुरे दिन उपवास रखकर रात में, खुली चांदनी में मिट्टी या चांदी के बर्तन में पकाई एवं रखी गई खीर का सेवन किया जाता है. यह खीर सर्दियों की शूरुवात के साथ बढ़ने वाले पित रोग के प्रभाव को शांत करती है. आयुर्वैदिक चिकित्सक ने बताया कि शरद पूर्णिमा की रात आयुर्वैदिक औषधियुक्त खीर का सेवन करने और साथ में उचित परहेज रखने से दमा, खांसी व अन्य श्वांस सम्बंधित रोग हमेशा के लिये दूर हो जाते हैं. साथ ही संस्थान के प्रवक्ता स्वामी नरेशानंद जी ने बताया कि इस त्यौहार का महान आध्यात्मिक महत्व भी है और इसलिए संस्थान प्रतिवर्ष इस त्यौहार के आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और चिकित्सीय गूणों को पुनर्जीवित करने के आशय से इस शिविर का आयोजन करता है. इस वर्ष भी शिविर में बड़ी संख्या में पुरुषों, महिलाओ, बच्चों और नियमित रूप से आने वाले लाभार्थी उपस्थित रहे. कार्यक्रम की शुरुवात सामूहिक प्रार्थना और भजन के साथ की गई. रात भर जागने की व्यवस्था हेतु सांस्कृतिक व आध्यात्मिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये गए. साथ ही मरीजों को आयुर्वैदिक दवाओं के समग्र लाभ पर भी जागरूक किया गया. आयुर्वैदिक डॉक्टरों द्वारा सभी रोगों के लिये मुफ्त परामर्श और बुनयादी स्वास्थ्य सेवाएं भी उपलब्ध कराई गयी.