देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेश

कांग्रेस एमपी-राजस्थान में किसी को भी सीएम फेस नही बनाएगी।

भोपाल। मध्यप्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस सीएम चेहरे के बगैर ही चुनाव लड़ेंगी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के निकटवर्ती सूत्रों के अनुसार दोनों राज्यों में संभावित नेताओं की छवि और प्रभाव का आकलन करने के बाद ही यह निर्णय लिया गया है। सूत्रों के अनुसार प्रभाव क्षेत्रों के हिसाब से नेताओं को चुनाव में उपयोग किया जाएगा।
गुजरात चुनाव में अप्रत्याशित सफ़लता के बाद कर्नाटक में राहुल गांधी की टीम का एक और टेस्ट हो जाएगा। यद्धपि सत्ता विरोधी लहर का समान कर रही सिद्धारमैया सरकार के लिए चुनाव जीतना चुनोतियाँ से भरा हुआ है फिर भी राहुल गांधी फैक्टर के भरोसे यहाँ कितना फायदा होता है इसका आकलन किया जाएगा।
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने भारतीय जनमानस को समझने के लिए नए सिरे से मेकेनिज्म बनाया है। देश-राज्य-समाज-जाति-धर्म-सम्प्रदाय-वर्ग के आधार पर जनाधार को बढ़ाने के लिए नवीनतम उपाय तैयार किए गए है। इनमे से कुछ का प्रयोग गुजरात मे सफलतापूर्वक हुआ है।
राहुल गांधी की इसी टीम ने मध्यप्रदेश और राजस्थान के सम्भावित सीएम उम्मीदवारों का खास फार्मूले से आकलन किया है।
मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा चर्चित ज्योतिरादित्य सिंधिया हालांकि सीएम उम्मीदवार के लिए तय मापदंडों में सबसे उपयुक्त है लेकिन कांग्रेस अन्य स्थानीय क्षत्रप उनके खिलाफ एकजुट है। उनका प्रभाव क्षेत्र 100 के करीब विधानसभा क्षेत्रों को कवर करता है,किंतु इस क्षेत्रों में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी अपना असर रखते है।
कमलनाथ को टू टायर सिस्टम का नेता माना जाता है। वे नेताओं के नेता है। उनका प्रभाव क्षेत्र छिंदवाड़ा तक ही सीमित है। हालांकि उनके समर्थक नेता महाकोशल और मालवा में है पर उनका खुद का जनमानस पर ख़ास असर नही है।
दिग्विजय सिंह अपनी नकारात्मक छवि से उबर नही सके है। उनकी सपत्नीक नर्मदा यात्रा का प्रतिफल उन्हें किस रूप में मिलता है यह अभी देखा जाना है। 2008 और 2013 के विधानसभा चुनावों में उनकी भूमिका से कांग्रेसजन भी खुश नही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव कहने के लिए पिछड़े वर्ग के नेता है,उनका प्रभाव निमाड़ तक ही है। वे यादवों के भी सर्वमान्य नेता नही बन पाए है।
टीम राहुल गांधी के आकलन के अनुसार इन सभी नेताओं का इसने प्रभाव क्षेत्रों में ही उपयोग किया जाए तो बेहतर परिणाम आ सकते है।
राजस्थान में भी प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट लोकप्रिय है लेकिन उनके गुर्जर होने के राजनीतिक खतरे कम नही है।
कुल मिलाकर कांग्रेस सामूहिक नेतृत्व के अधीन ही विधानसभा चुनावों में उतरेगी।
बहरहाल भले ही टीम राहुल मध्यप्रेदश के बारे में सामूहिक नेतृत्व की वकालत करती हो पर यहाँ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को टक्कर देने में ज्योतिरादित्य सिंधिया ही सबसे उपयुक्त नजर आते है। कोलारस-मुंगावली उपचुनाव का परिणाम उनका भविष्य तय कर देगा।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline.com