देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेश

शिवराज की मज़ाक डिप्लोमेसी और उसके राजनीतिक निहितार्थ।

 

भोपाल। अनिश्चितता,अविश्वास और हटाए जाने की तमाम अटकलों को झेल रहे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने आनंद उत्सव में कुर्सी को लेकर जो मज़ाक़ किया है,उसके राजनीतिक निहितार्थ सामने आने लगे है। गौरतलब है कि आंनद मंत्रालय के कार्यक्रम में कुर्सी के प्रति निर्मोही मज़ाक कर शिवराज ने भाजपा की राजनीति में अटकलों का दौर गर्म कर दिया है।
शिवराज के निकटवर्ती सूत्रों के अनुसार लंबे समय से हटाने की अटकलों-अफवाहों से परेशान होकर उन्होंने सही समय पर सही जगह पर कुर्सी को लेकर मज़ाक में अपने दिल की बात कह दी। वे जानते थे कि उनके मज़ाक से प्रदेश की राजनीति में हलचल होगी,खासकर भाजपा की राजनीति में अटकलों का दौर शुरू हो जाएगा।
सूत्रों के अनुसार नए प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह की तरह शिवराज भी पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से खुला समर्थन चाहते है। इसी बात को लेकर अमित शाह के दौरे के एक दिन पूर्व मज़ाक की डिप्लोमेसी खेली गई।
सोशल मीडिया पर कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा को दिल्ली बुलाने की खबर चलने के बाद चतुर राजनेता विजयवर्गीय ने तत्काल बयान जारी कर सारी कवायद को अफवाह करार दिया और शिवराज के नेतृत्व में विश्वास व्यक्त कर दिया।
शिवराज की मज़ाक डिप्लोमेसी की यह पहली सफलता है।
अब शुक्रवार को भोपाल में विस्तारित कार्यसमिति में नए अध्यक्ष राकेश सिंह की नियुक्ति का अनुमोदन कराने आ रहे अमित शाह से भी शिवराज को कैलाश विजयवर्गीय जैसे बयान की उम्मीद है।
मज़ाक डिप्लोमेसी की परिणीति मीडिया के समक्ष अमित शाह के इस बयान से होगी कि मध्यप्रदेश में चुनाव शिवराजसिंह के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा।
बहरहाल यदि अमित शाह इस तरह का बयान देते है तो शिवराज के प्रति पार्टी के अंदर पनप रहे असंतोष की हवा निकल जायेगी।
शिवराज चाहते भी यही है।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline.com