नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व खिलाड़ी सचिन तेंडुलकर ने कहा कि नेशनल टीम में चुने जाते वक्त किसी खिलाड़ी की उम्र मायने नहीं रखती बल्कि उसका टैलेंट देखा जाता है। अगर कोई खिलाड़ी अच्छा है और देश के लिए खेल सकता है तो उम्र इसके लिए कोई मायने नहीं रखता।
तेंडुलकर ने ये बात तब कही जब उनसे पूछा गया कि इंग्लैंड की टेस्ट टीम में इस वक्त दो खिलाड़ी ऐसे हैं जो सिर्फ 20 साल के हैं। इनमें से सैम कुर्रन भारत के खिलाफ पहला टेस्ट भी खेल चुकै हैं और दूसरे टेस्ट के लिए ओली पॉप को टीम में शामिल किया गया है जिनकी उम्र भी 20 वर्ष है।
वर्ष 1989 में सचिन तेंदुलकर को भारतीय टीम में 16 वर्ष की उम्र में ही खेलने का मौका मिल गया था। सचिन ने कहा कि जब मैंने अपना पहला इंटरनेशनल मैच खेला था उस वक्त मैं सिर्फ 16 साल का था। एक तरह से मुझे इससे सिर्फ मदद मिली। मुझे नहीं पता था कि उस वक्त की सबसे बेहतरीन गेंदबाजी आक्रमण वसीम अकरम, वकार यूनिस, इमरान खान और अब्दुल कादिर का सामना करना कैसा था।
तेंदुलकर को लगता है कि युवा बल्लेबाजों को अंतरराष्ट्रीय मैच में मौका देना अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि जब आप युवा होते हो तो आपका ध्यान सिर्फ सिक्के के एक पहलू की तरफ होता है, लेकिन अनुभव और परिपक्वता से आप चीजों को संतुलित करने के लिए दूसरे पहलुओं के बारे में सोचने लगते हैं।
उन्होंने कुर्रन और पोप को इस चुनौती का लुत्फ उठाने की सलाह देने हुए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को आकर्षक बनाने को कहा। उन्होंने कहा कि ये ऐसी उम्र है जब आप कुछ और नहीं सोचते और आपका ध्यान सिर्फ अच्छा करने पर होता है। आपको मुश्किल हालात का सामना करना पड़ सकता है।