प्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेश

दो बेटों के कारण बिगड़ा मालवा में भाजपा का समीकरण।

 

उज्जैन। मालवा में जीत को लेकर भाजपा के कर्णधारों में इतना संशय कभी नही दिखाई दिया। मालवा में जीत के प्रति हमेशा आश्वस्त रही भाजपा को इस विधानसभा चुनाव में “पुत्र मोह” के वायरस ने हेंग कर दिया है। अपने बेटों के राजनीतिक केरियर को चमकाने के चक्कर मे पार्टी की जीत को ही धूमिल करने वाले ताकतवर “पापा”अब संगठन के राडार पर है।
भाजपा के अंतःपुर में मालवा को लेकर चिंताओं की सुगबुगाहट है। संगठन के तारणहार अंतिम समय मे टिकट वितरण में हुई बंदरबांट की समीक्षा कर रहे है।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सारा खेल केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत के विधायक बेटे जितेंद्र गहलोत को फिर से जिताने के लिए हुआ। इस बार गहलोत की हालत पतली थी,उनके सामने पुर्व सांसद प्रेमचंद गुडडू या उनके बेटे अजीत बोरासी चुनाव लड़ते तो जितेंद्र का हारना तय था।
थावरचंद गहलोत के निकटवर्ती सिस्टम में गुड्डू परिवार को ही भाजपा में लाने की योजना बनाई और भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के माध्यम से इसे मूर्त रूप दिया। गुड्डू भी कांग्रेस आलाकमान की नाराजगी का शिकार होने जा रहे थे,उन्हें अपने बेटे के पुनर्वास के लिए यह मार्ग उचित लगा। लगे हाथ उनके बेटे को घटिया से टिकट मिल गया।
ताबड़तोड़ बने इस समीकरण के कारण उज्जैन में भाजपा का गणित बिगड़ गया। पुत्रमोह से ग्रसित केंद्रीय मंत्री की आड़ में महिदपुर, बड़नगर और उज्जैन दक्षिण में खेल हो गया। इस समीकरण की नैया में शाजापुर के अरूण भीमावद,बाबुलाल वर्मा और सोनकच्छ के राजेन्द्र वर्मा भी सवार हो गए जिन्हें पार्टी टिकट नही दे रही थी।
पुत्र मोह ने इंदौर की राजनीति को भी लील लिया। कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय के लिए तय पटकथा बदलती रही और कई किरदारों का राजनीतिक भविष्य बनता बिगड़ता रहा।
इस समीकरण का शिकार हुई उषा ठाकुर ने जाने-अनजाने में सब बोल ही दिया है।
मालवा में भाजपा संगठन की पुत्र मोह से ग्रसित नेताओं के हाथों करारी हार हो गई।
चुनाव के दौरान बलाई,ब्राह्मण,बैरवा, गायरी,आंजना समाज की नाराजगी खुलकर सामने आई,जिनके नेता इस समीकरण का शिकार हुए थे।
चुनाव के बाद अब घटनाक्रम की परतें खुल रही है, संगठन अपनी बेबसी छोड़कर अब सख्त नजर आ रहा है, मालवा के इस खेल से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी नाराज हैं।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और भाजपा का संगठन मालवा के संभावित परिणाम को इस समीकरण से जोड़कर देख रहा है।
बहरहाल कैलाश विजयवर्गीय और थावरचंद गहलोत ने अमित शाह से अपनी निकटता का भरपूर लाभ लिया और मालवा में सबको दरकिनार कर अपनी चलाई।
अब सबकी नजर इस समीकरण के कारण भाजपा की हार-जीत पर है।

प्रकाश त्रिवेदी