देश में आजकल मुद्दे बहुत है, लगता है। 12 जनवरी 2018 के बाद से आज कलम उठानी ही पढ़ी मुझे। अब तक लगा था कि मैं राष्ट्रीय विधि संस्थान गुवाहाटी में अपनी वकालत की पढ़ाई बिना कोई लेख लिखे कर लूंगा। ताकि कुछ “अच्छे” पत्रकार ज़मीं पर आये। पर ऐसा हुआ नहीं।
मेरी टिप्पणी कुछ नया पहलू लायेँगी न कि कोई गड़े मुर्दे उखाड़ेंगी।समसामायिक विषयों पर मेरी कुछ टिप्पणी –
चुनाव–
चुनावी गर्मी को महसूस मै इंदौर गुवाहाटी एक्स्प्रेस मे बैठे बैठे भी कर रहा हूँ। सह यात्री एक सज्जन है और अपने आपको “भक्त” कहते है। आप समझ गए होंगे।
कौन जीतेगा इस बार? कांग्रेस का गाना काफी अच्छा है जो टेलीविजन पर आता है? मोदीजी को जीतना है!? क्या पप्पू पास हो पायेगा? क्या दलित वोटबैंक खेल खेलेगा? क्या जातिगत समीकरण खेल बदलेगा?
राजनीति एक खेल ही तो है जहाँ जनता पीसी जाती है।
मोदीराज –
रामराज्य तब था और अब मोदीराज है! ट्रेन मे यात्रा कर रहे एक बुजुर्ग का यह कहना है। क्या सही है?
मुझसे जवाब चाहते है. मेरी माने तो भक्त न बने क्योंकि मोदी भगवान नही है। मोदी एक कद्दावर नेता और सफल प्रधान मंत्री रहे है। नोटबंदी और जी. एस. टी. जैसी गलतियाँ भी की, आगे आप जाने!
मै तो वोट दे नहीं सकता किसी को, गुवाहाटी जो पढ़ता हूँ और उज्जैन का निवासी हूँ। चुनाव आयोग हमारे बारे में सोचता नहीं।
लोकतंत्र–
लोकतंत्र को सुधार की ज़रूरत है, संभावना है। अरस्तु, प्लेटो, सुकरात आदि को याद करे, कृपा होगी!
लोगो को जागरूक और सरकार को कर्मशील होना चाहिए। मंत्री नेता समझदार और होशियार हो तो बेहतर होगा।
मीडिया–
लोगों को पता लगाना होगा कि कौन सा अखबार पढ़े और कौन सा चैनल देखे? कौन सा कहा बिका है जानना ज़रूरी है – पाकिस्तान, चीन, इत्यादि के नुमाइंदे है हमारे यहाँ!
शिक्षा–
महंगी होती जा रही….! IIT, NIT, NLU, IIM, DU, जैसे संस्थानों को छोड़ दे तो कॉलेज की शिक्षा फिल्मी कॉलेज से कम नहीं।
सुधार की आवश्यकता स्कूली शिक्षा में भी है – सरकारी स्कूल???????
निजी और मिशनरी स्कूल की फीस बहुत है भाई।
स्वास्थ्य–
सुधार की आवश्यकता। निजी काफी महंगा। सरकार ध्यान दे। नेताओं की खासी दूर हुई क्या??
गरीबी–
लगता है आपको कि खत्म हो गयी? अंग्रेज़ों को कोसने के बजाय काम करने की आवश्यकता। सभी की ज़िम्मेदारी।
आतंकवाद–
दिमाग का कचरा गोलियों मे जब तब्दील होता है तब आतंकवाद पनपता है। ईट का जवाब पत्थर से दीजिये।
भ्रष्टाचार–
शायद यह शब्द थोड़ा गायब सा लगता है। क्या अब सभी भ्रष्ट है?
कोर्ट कानून –
इस साल आधार, सबरीमाला, ३७७, आदि कई कानून आये। पढ़िये। देश के सर्वोच्च न्यायालय का काम काबिले – तारीफ है पर उन्होंने अपने जज नियुक्ति के तौर तरीको पर कुछ सोचा क्या?
जनता जनार्दन –
जनता हमेशा अंतिम में ही क्यों आती हैं। यही जनतंत्र की भी समस्या है। लोकतंत्र के नाम पर गुंडाराज आज भी है। आपको नहीं लगता क्या?
जनता को और जागरूक होने की आवश्यकता है। उसे यह पता होना चाहिए कि पार्टी को वोट देना है या व्यक्ति को? और कौन उचित है? जनता को पता होना चाहिए उन्हे किसका भक्त होना चाहिए? जनता को पता होना चाहिए शिक्षा, स्वास्थ्य की ज़रूरत और सरकारी योजनाएं।
आतंकवाद और भ्रष्टाचार के लिए सख्त नफरत, देशभक्ति की भावना और लोकतंत्र की समझ अपेक्षित है।
बस यही रुकता हूँ। देखते है अब कब कलम आवाज़ देती है।
प्रणाम भारत।।
जय हिंद।।
आदित्य त्रिवेदी
( लेखक युवा पत्रकार,शायर, एवं विचारक है, समाचार लाइन के न्यूज़ एडिटर भी है)