IDBI बैंक को संकट से उबारने के लिए सरकार ने उसमें 9,296 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का निर्णय लिया है. यह पूंजी सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) द्वारा मिलकर दी जाएगी. कैबिनेट से इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद मंगलवार को केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसकी जानकारी दी.
गौरतलब है कि बैंकिंग सेक्टर की हालत खराब है और सरकार इस पूरे सेक्टर पर गहराई से नजर रखे हुए है. सरकार को हाल में रिजर्व बैंक ने 1.76 लाख करोड़ रुपये देने का फैसला किया था, जिसके बाद ही इस बात की संभावना मजबूत हो गई थी कि सरकार परेशान चल रहे बैंकों की मदद करेगी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ दिनों पहले ही कहा है कि सार्वजनिक बैंकों के रीकैपिटलाइजेशन यानी नए सिरे से पूंजी डालने के लिए 70,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. योजना के अनुसार IDBI बैंक को सरकार 4,553 करोड़ रुपये और एलआईसी 4,743 करोड़ रुपये देगी.
पिछले साल ही एलआईसी ने IDBI मे 51 फीसदी की हिस्सेदारी ली है और इसमें सरकार की 49 फीसदी हिस्सेदारी है. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि सरकार के इस कदम से आईडीबीआई बैंक की पहले साल में आय करीब 500 करोड़ रुपये बढ़ जाएगी.
अब निजी बैंक हो चुका है IDBI
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पब्लिक सेक्टर के IDBI बैंक को प्राइवेट सेक्टर के बैंक की कैटेगरी में रख दिया है. दरअसल, भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने कर्ज में डूबे IDBI बैंक को उबारने के लिए उसमें 51 फीसदी की हिस्सेदारी ली है.
IDBI की वेबसाइट के मुताबिक उसके 1892 ब्रांच हैं जबकि 1407 सेंटर हैं.वहीं बैंक के ATM, 3705 हैं. बैंक से लाखों ग्राहक जुड़े हैं. IDBI बैंक को आरबीआई के तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई रूपरेखा के अंतर्गत रखा गया है. यह कंपनियों को दिये जाने वाले लोन और शाखा विस्तार, वेतन वृद्धि के अलावा अन्य नियमित गतिविधियों पर रोक लगाता है.