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जन्मदिन से पहले देवदर्शन यात्रा पर निकलीं वसुंधरा, धार्मिक है संदेश लेकिन सियासी है उद्देश्य

राजस्थान बीजेपी नेताओं में चल रही खेमेबाजी के बीच देव दर्शन के बहाने शक्ति प्रदर्शन किया जा रहा है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने बांसवाड़ा में त्रिपुर सुंदरी में मां के दर्शन कर पूजा अर्चना की. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने रविवार को ही भरतपुर के गोवर्धन स्थित गिरिराज मंदिर में दर्शन-पूजन से अपनी दो दिवसीय देवदर्शन यात्रा शुरू कर दी है.

वसुंधरा राजे का आज यानी सोमवार को जन्म दिन है. उन्होंने अपने जन्मदिन से एक दिन पहले ही देवदर्शन की यात्रा शुरू कर आगे प्रदेश में सक्रिय होने के संकेत और पार्टी में विरोधी खेमे को भी मैसेज दे दिया है. हालांकि, देव दर्शन यात्रा वसुंधरा का धार्मिक कार्यक्रम बताया जा रहा था, लेकिन जिस तरह से शुरुआत हुई है और जैसा इसका स्वरुप नजर आ रहा है, उससे साफ है कि यह यात्रा पूरी तरह से सियासी और शक्ति प्रदर्शन का जरिया बन गई है.

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा के देवदर्शन कार्यक्रम की शुरुआत में करीब 25 बीजेपी विधायक और 5 सांसदों के अलावा 50 के करीब पूर्व विधायक जुटे शामिल हुए. वसुंधरा राजे ने इन समर्थक विधायकों-सांसदों के साथ मंदिर में दर्शन और पूजा अर्चना के अलावा गोवर्धन परिक्रमा भी की है. इस तरह से वसुंधरा राजे बिना सभा और रैली किए हुए धार्मिक यात्रा के जरिए अपनी ताकत दिखाने के साथ-साथ राजनीतिक संदेश देने की कोशिश करती नजर आई हैं.

वसुंधरा राजे ने कहा, ‘आज आपको याद दिलाना चाहती हूं राजमाता विजयाराजे सिंधिया के में बारे में जिन्होंने दीपक जलाने और कमल खिलाने का काम किया, उन्होंने दीपक की लौ को कभी कम नहीं होने दिया और ना ही कभी कमल को मुरझाने दिया. उनके रग-रग में बीजेपी और राष्ट्रवाद भरा था. मैं उन्ही की बेटी हूं, याद रखो.’ वसुंधरा राजे ने बयान के जरिए पार्टी में अपने विरोधियों को अपने परिवार का जनसंघ से लेकर बीजेपी की मजबूती में दिए योगदान को याद दिलाया. इसके साथ-साथ उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद की विचारधारा को पोषित करने में उनके और उनके परिवार की अहम भूमिका रही है.

वसुंधरा राजे ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं गिरिराज भगवान के सामने प्रार्थना करती हूं कि वह हमें ताकत दे. दो हिस्सों में बंटी हुई गहलोत सरकार को मिलकर उखाड़ने का काम हम काम करेंगे. वसुंधरा राजे का यह बयान उनके राजस्थान की राजनीति में सक्रिय बने रहने के संकेत है. एक तरह से साफ है कि वो भले ही बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हों, लेकिन राज्य की सियासत से दूर नहीं जाएंगी. साथ ही उन्होंने यह जाहिर कर दिया कि 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से सीएम के चेहरे के तौर पर वही होंगी.

वहीं, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया ने दूसरी ओर उसी त्रिपुर सुंदरी मंदिर में पूजा अर्चना की है, जहां वसुंधरा राजे की गहरी आस्था है. हर बार चुनाव के नतीजों के वक्त राजे त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में मां के चरणों में बैठती हैं. वह हर राजनीतिक संकट-चुनौती का मुकाबला और नई शुरुआत मां त्रिपुर सुंदरी के दर्शन से करती आई हैं. इस बार मां का आशीर्वाद लेने सतीश पूनिया पहुंचे हैं.

बीजेपी में सतीश पुनिया और राजे खेमे के बीच सियासी वर्चस्व की जंग छिपी नहीं है. बीजेपी के भीतर चल रही वर्चस्व की लड़ाई में भी इस आयोजन से बहुत कुछ तय होना है. वसुंधरा राजे भले ही कोई राजनीतिक सभा नहीं कर रही हैं लेकिन देव दर्शन के जरिए पार्टी नेतृत्व को सियासी ताकत दिखाने से पीछे नहीं हटी हैं. हालांकि, राजे-पुनिया गुट के बीच सियासी टकराव को विराम देने के लिए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जयपुर पहुंचे थे और उन्होंने सभी नेताओं को एक मंच पर लाकर सियासी संदेश देने की कवायद की थी. इसके बावजूद वसुंधरा राजे ने अपने समर्थक नेता और विधायक के साथ देवदर्शन की यात्रा शुरू कर राजनीतिक संदेश जरूर दे दिया है.

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