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डासना मंदिर मामले में आरोपी सलीमुद्दीन रिहा, बोले- मेरा धर्मांतरण से लेना-देना नहीं

गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर में नाम बदलकर दो लोगों के घुसाने के मामले में आरोपी सलीमुद्दीन को देर रात रिहा कर दिया गया. सलीमुद्दीन का कहना है कि मैंने ही दोनों को मंदिर के महंत से मिलने से रोका था.

गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर में नाम बदलकर दो लोगों के घुसाने के मामले में आरोपी सलीमुद्दीन को देर रात रिहा कर दिया गया. सलीमुद्दीन पर एटीएस द्वारा गिरफ्तार किए गए दो लोगों को मंदिर में भेजने का आरोप है. हालांकि, सलीमुद्दीन का कहना है कि मैंने ही दोनों को मंदिर के महंत से मिलने से रोका था.

दरअसल, 2 जून की रात करीब साढ़े आठ बजे दो संदिग्ध डासना देवी मंदिर में घुसे थे. गेट पर दोनों ने अपने नाम नागपुर निवासी विपुल विजयवर्गीय और काशी गुप्ता लिखवाया था. बाद में काशी गुप्ता नाम का युवक संजयनगर निवासी कासिफ निकला. पूछताछ में पता चला कि विपुल कासिफ का जीजा है.

डेढ़ साल पहले ही विपुल ने उसकी बहन आयशा से शादी की थी. आरोपियों के बैग से सर्जिकल ब्लेड, वैक्यूम थेरेपी में काम आने वाली मशीन, धार्मिक पुस्तकें व ग्रंथ बरामद हुए थे. विपुल ने बताया था कि वह शास्त्रार्थ करने के लिए महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती से मिलने आया था. वहीं महंत ने यति नरसिंहानंद सरस्वती ने उनपर अपनी हत्या के लिए आने का आरोप लगाया था.

नागपुर निवासी विपुल विजयवर्गीय का मेंटर सलीमुद्दीन है. मसूरी पुलिस ने बीते शुक्रवार को सलीमुद्दीन को गिरफ्तार कर लिया था. हालांकि, मंदिर गेट से पकड़े गए लोगों की रिहाई के बाद सलीमुद्दीन को भी रिहा कर दिया गया. इस बीच सलीमुद्दीन का नाम धर्मांतरण गैंग से भी जुड़ा, लेकिन सलीमुद्दीन का कहना है कि मेरा धर्मांतरण मामले से कोई लेना देना नहीं है.

सलीमुद्दीन ने कहा कि पकड़े गए विपुल विजयवर्गीय और कासिफ अपनी इच्छा से मुस्लिम बने थे, विपुल विजयवर्गीय धर्म प्रचारक बन गया गया था, महंत से मिलने से मैने उन्हें रोका था, विपुल विजयवर्गीय का मकसद केवल महंत से मिलना था. सलीमुद्दीन ने डासना जेल में दस दिन बिताए है.