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मिनटों में ऐसे साफ होती है ट्रेन

भारतीय रेलवे द्वारा लगातार सफाई और पर्यावरण के बचाव के लिये कदम उठाए जा रहे हैं. इसका एक उदाहरण है पश्चिम बंगाल में लगा ये ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट. दरअसल, पारंपरिक तरीके की ट्रेनों की धुलाई में काफी समय लगता है और पानी भी काफी बर्बाद होता है.

भारतीय रेल दिन प्रतिदिन नई-नई टेक्नोलॉजी से ट्रेनों की आवाजाही से लेकर यात्रियों की सुविधा को जोड़ने का काम कर रही है. साथ ही ट्रेनों के रखरखाव और सफाई के लिए अत्याधुनिक मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसी कड़ी में रेलवे ने ट्रेनों को मिनटों में साफ करने के लिए ऑटोमैटिक वॉशिंग प्लांट स्थापित किए हैं. इन ऑटोमैटिक ट्रेन वॉशिंग प्लांट की मदद से ट्रेनों की सफाई मिनटों में हो जाती है. इस प्लांट को देशभर में लगाने का काम जोरो पर है.

गुजरात के गांधीधाम डिपो में ऑटोमैटिक ट्रेन वॉशिंग प्लांट को लगाए जाने का बाद अब पश्चिम बंगाल के राणाघाट में भी इसे लगाया गया है. यह रेलवे का पहला ऐसा ऑटोमैटिक ट्रेन वॉशिंग प्लांट है जिसमें ईएमयू और मेमू कोच, दोनों की धुलाई हो सकती है. इस ईएमयू कार शेड में मिनटों में ट्रेन के डिब्बे धुलकर निकल जाते हैं. रेलवे ने ट्रेन की धुलाई का वीडियो भी शेयर किया है जिसमें ट्रेन को साफ होते देखा जा सकता है.

क्या होगा फायदा?

> इससे घंटों लगने वाले समय की बचत होगी

> बड़ी मात्रा में पानी की बर्बादी पर भी रोक लग सकेगी.

> नई टेक्नोलॉजी से रेलवे कोच चमकते नजर आएंगे.

> इस मशीन से पूरी ट्रेन 7 से 8 मिनट साफ हो जाएंगी.

> यह प्लांट सफाई के बाद बर्बाद होने वाले पानी को रिसाइकिल करता है.

> इससे पानी को दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है.

भारतीय रेलवे द्वारा लगातार सफाई और पर्यावरण के बचाव के लिये कदम उठाए जा रहे हैं. इसका एक उदाहरण है पश्चिम बंगाल में लगा ये ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट. दरअसल, पारंपरिक तरीके की ट्रेनों की धुलाई में काफी समय लगता है और पानी भी काफी बर्बाद होता है. साथ ही डिब्बों की सफाई भी सही से नहीं हो पाती है. ऐसे में नए ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट से न सिर्फ ट्रेनों की सफाई होगी बल्कि पानी की भी बचत हो सकेगी.