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25 विवादित क्षेत्रों में एक है तवांग की यांग्त्से चोटी, चीनी सेना कब्जे के लिए मारती रही है हाथ-पैर; समझें ये प्वाइंट अहम क्यों?

यांग्त्से सामरिक, धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से भी काफी अहम क्षेत्र है। यहां बौद्ध धर्म के मठ के अलावा 108 जल प्रपात हैं जो तिब्बती संस्कृति के लिए पवित्र माने जाते हैं। चीनी भी इसे पवित्र मानते हैं।

अरुणाचल प्रदेश में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के पास तवांग सेक्टर में यांग्त्से चोटी के पास भारत और चीनी सैनिकों के बीच 9 दिसंबर को झड़प हो गई थी। चीनी सैनिक भारतीय सीमा क्षेत्र में घुसने की कोशिश कर रहे थे, जिसे भारतीय सैनिकों ने नाकाम कर दिया। इस दौरान हुई झड़प में दोनों तरफ से सेना के कुछ जवान घायल हो गए। हालांकि, दोनों देशों के कमांडरों ने फ्लैग मीटिंग कर मामले को तुरंत सुलझा लिया। इस झड़प में भारत के छह जवान घायल हुए हैं।

जिस जगह पर ये झड़प हुई है, वह तवांग से करीब 35 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है और 1700 फुट की ऊंचाई पर है। तवांग की यांग्त्से चोटी भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के 25 विवादित क्षेत्रों में से एक है और यह सामरिक दृष्टि से काफी अहम है। यह एकमात्र ऐसा विवादित क्षेत्र है, जिस पर भारत का कब्जा है। यांग्त्से भारतीय भूमि की सबसे ऊंची पर्वतीय चोटी है, जहां से भारत पूरे क्षेत्र पर नजर रखता रहा है।

पूरी तैयारी से आया था PLA:
इस बार फिर से चीन ने इस क्षेत्र पर कंट्रोल करने की कोशिश की थी, जिसे भारतीय सैनिकों ने नाकाम कर दिया। चीनी सेना PLA के करीब 300 सैनिक पूरी तैयारी के साथ तवांग सेक्टर में आए थे, ताकि यांग्त्से चोटी पर कब्जा किया जा सके। इसी मंसूबे के साथ चीन ने हाल के दिनों में यांग्त्से के करीब पक्का निर्माण भी किया है। यांग्त्से के दूसरी तरफ चीनी क्षेत्र में चीन ने कई आधुनिक बस्ती बसा रखी है, जिसका इस्तेमाल सैन्य गतिविधियों के लिए किया जा रहा है।

पहले भी हो चुकी है धक्का मुक्की:
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, करीब 14 महीने पहले, जब भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को हल करने के लिए 13वें दौर की सैन्य वार्ता आयोजित करने की तैयारी कर रहे थे, उस वक्त भी चीनी सैनिकों ने पीछे हटने से पहले यांग्त्से क्षेत्र में भारतीय जवानों के साथ धक्का-मुक्की की थी। अक्टूबर 2021 में भी चीनी सैनिकों ने इस इलाके में घुसपैठ की कोशिश की थी। चीन 17000 फुट ऊंची इस चोटी पर कब्जे की कोशिश लंबे समय से करता रहा है।

यांग्त्से इतना अहम क्यों?
LAC पर भारत और चीन के बीच विवादित स्थानों में से एक यांगत्से पर पूर्ण रूप से भारत का कंट्रोल है। यह बात चीन को खलती रही है। हाल ही में भारत ने इस इलाके में  विकास से जुड़े कई काम किए हैं। इससे चीन की बेचैनी बढ़ गई है, जबकि पीएलए का मकसद यांग्त्से की 17,000 फुट ऊंची चोटी पर कब्जा करने का रहा है, ताकि सीमा रेखा (LAC) के दोनों तरफ निगरानी कर सके और किसी भी गतिविधि को कंट्रोल कर सके।

यांग्त्से सामरिक, धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से भी काफी अहम क्षेत्र है। यहां बौद्ध धर्म के मठ के अलावा 108 जल प्रपात हैं जो तिब्बती संस्कृति के लिए पवित्र माने जाते हैं। चीनी नागरिकों के लिए भी यह इलाका धार्मिक मान्यता के लिहाज से अहम रहा है लेकिन इलाके पर भारतीय कंट्रोल होने की वजह से चीनी नागरिक हाई रिजॉल्यूशन कैमरे से ही टीवी स्क्रीन पर यहां के नजारे का आनंद लेते हैं।

चीनी नागरिक भी इस इलाके की गुफाओं को पवित्र मानकर उसकी पूजा करते रहे हैं। 2019 में भारत और चीन के बीच इन धार्मिक स्थलों पर जाने देने की अनुमति का प्रस्ताव पेश किया गया था लेकिन लद्दाख में सीमा विवाद और गतिरोध के बाद उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।