धर्मं/ज्योतिष

अनमोल विचार, जो दिखाते हैं जीवन को नई राह

आज यानी 29 दिसंबर को सिखों के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोबिंद सिंह की जयंती मनाई जा रही है। उनकी जयंती को प्रकाश पर्व के तौर पर मनाया जाता है। सिख समाज के लिए प्रकाश पर्व का विशेष महत्व है। गुरु गोविंद सिंह जी के जन्मोत्सव को सिख धर्म के लोग धूमधाम से मनाते हैं। गुरु गोबिंद सिंह जयंती के दिन सिख धर्म को मानने वाले लोग गुरुद्वारों में इकट्ठा होते हैं और आशीर्वाद के लिए अपनी प्रार्थना करते हैं। गुरु गोबिंद सिंह जी ने सामाजिक समानता का पुरजोर समर्थन किया और लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बने। उन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा और सच्चाई के मार्ग में चलते हुए बीता दिया। ऐसे में आज गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती के मौके में चलिए जानते हैं उनके कुछ अनमोल विचार, जो आपको जीने की एक नई राह देंगे…

गुरु गोविंद सिंह के अनमोल वचन

  • परदेसी, लोरवान, दु:खी, अपंग, मानुख दि यथाशक्त सेवा करनी

अर्थ- विदेशी, दुखी, विकलांग और जरूरतमंद की मदद जरूर करनी चाहिए।

  • धन, जवानी, तै कुल जात दा अभिमान नै करना

अर्थ- जवानी, जाति और कुल धर्म को लेकर कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए।

  • धरम दी किरत करनी

अर्थ- अपनी जीविका ईमानदारीपूर्वक काम करते हुए चलाएं।

  • कम करन विच दरीदार नहीं करना

अर्थ– किसी भी काम को लेकर कोताही न बरतें।

  • जगत-जूठ तंबाकू बिखिया दी तियाग करना

अर्थ- नशे और तंबाकू का सेवन नहीं करना चाहिए।

  • किसी दि निंदा, चुगली, अतै इर्खा नै करना

अर्थ- किसी की चुगली व निंदा नहीं करनी चाहिए। किसी से ईर्ष्या करने के बजाय मेहनत करें।

  • बचन करकै पालना

अर्थ- अपने सारे वादों पर खरा उतरने की कोशिश करें।