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नोटबंदी करना सही था या गलत? सुप्रीम कोर्ट आज सुना सकता है अपना फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और आरबीआई को 7 दिसंबर को यह निर्देश दिया था कि वे सरकार के 2016 में 1000 रुपये और 500 रुपये के नोट को बंद करने के फैसले से संबंधित प्रासंगिक रिकॉर्ड पेश करें।

सुप्रीम कोर्ट नोटबंदी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सोमवार को फैसला सुनाने वाला है। साल 2016 में 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को बंद करने संबंधी सरकार के फैसले को एससी में चुनौती दी गई है। जस्टिस एस. ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ आज इस मामले पर अपना फैसला सुना सकती है।

SC की सोमवार की वाद सूची के अनुसार, इस मामले में दो अलग-अलग फैसले होंगे, जो जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस बी. वी. नागरत्ना की ओर से सुनाए जाएंगे। जस्टिस नजीर, जस्टिस गवई और जस्टिस नागरत्ना के अलावा पांच न्यायाधीशों की पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यन हैं।

SC में 7 दिसंबर को सुनी गई थीं दलीलें
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को 7 दिसंबर को निर्देश दिया था कि वे सरकार के 2016 में 1000 रुपये और 500 रुपये के नोट को बंद करने के फैसले से संबंधित प्रासंगिक रिकॉर्ड पेश करें। पीठ ने केंद्र के 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, आरबीआई के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम और श्याम दीवान समेत याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनी थीं और अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

नोटबंदी पर फिर से विचार करने का विरोध
पी चिदंबरम ने 1 हजार और 500 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को गंभीर रूप से दोषपूर्ण बताया था। उन्होंने दलील दी थी कि केंद्र सरकार कानूनी निविदा से संबंधित किसी भी प्रस्ताव को अपने दम पर शुरू नहीं कर सकती है। यह केवल आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर किया जा सकता है। 2016 की नोटबंदी की कवायद पर फिर से विचार करने के SC के प्रयास का केंद्र ने विरोध किया था। सरकार ने कहा था कि अदालत ऐसे मामले का फैसला नहीं कर सकती है, जब बीते वक्त में लौट कर कोई ठोस राहत नहीं दी जा सकती है।