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अमेरिका सम्बन्ध अच्छे होने से क्या चीन से अब बिगड़ जाएंगे पाकिस्तान के संबंध?

अमेरिका और पाकिस्तान के बीच फिर से संबंध मजबूत करने की कोशिशें हाल में खासा तेज हो गई हैं। कूटनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक दोनों देशों ने आपसी रिश्ते को भारत और अफगानिस्तान के साथ उनके अलग-अलग रिश्तों से अप्रभावित रखने का तरीका ढूंढ लिया है। इसका मतलब यह है कि भारत से अमेरिका के गहराते संबंध पर पाकिस्तान एतराज नहीं करेगा। उधर अफगान तालिबान से पाकिस्तान के रिश्तों की अमेरिका अनदेखी करेगा।

हाल के महीनों में कई बड़े अमेरिकी अधिकारियों ने पाकिस्तान का दौरा किया है। जबकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो सहित कई बड़े पदाधिकारियों ने अमेरिका की यात्रा की है। इसके बाद पाकिस्तानी टीकाकारों में इस सवाल पर चर्चा तेज हो गई है कि अमेरिका से बनते नए संबंध का चीन से पाकिस्तान के रिश्तों पर क्या असर होगा। कुछ टीकाकारों ने तो अनुमान लगाया है कि पाकिस्तान धीरे-धीरे चीन से दूर होता जा सकता है।

पिछले वर्ष सितंबर में जब पाकिस्तान के तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा ने अमेरिका की यात्रा की, तब पाकिस्तान के एक अधिकारी ने दावा किया था कि अब अमेरिका पाकिस्तान से वैसा ही रिश्ता कायम कर रहा है, जैसा उसका दक्षिण कोरिया के साथ है। विश्लेषकों के मुताबिक ऐसी चर्चाओं की जड़ें पाकिस्तान की अंदरूनी राजनीति में छिपी हुई हैं। पिछले साल के आरंभ में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्ता से हटाने की मुहिम चलाई गई, तो उसके पीछे एक तर्क यह भी दिया गया कि खान ने अमेरिका से पाकिस्तान के रिश्ते बिगाड़ दिए थे।

शहबाज शरीफ सरकार ने सत्ता में आने के बाद अमेरिका से रिश्ते सुधारने को खास प्राथमिकता दी है। लेकिन पाकिस्तान के कूटनीतिक विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि इसका चीन से पाकिस्तान के रिश्तों पर विपरीत असर हो सकता है। थिंक टैंक ईस्ट एशिया फोरम से जुड़े विशेषई आरिफ रफीक ने लिखा है- ‘अमेरिका से संबंध सुधारने का पाकिस्तानी नेताओं का प्रयास सही दिशा में है। इसलिए कि अमेरिका पाकिस्तान के निर्यात का सबसे बड़ा बाजार है और अमेरिका में पाकिस्तानी मूल के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। लेकिन अमेरिका और चीन के बीच चल रही होड़ में वे उलझे, तो यह उनका अनाड़ीपन होगा।’ उन्होंने ध्यान दिलाया है कि फिलहाल अमेरिका पाकिस्तान से यह नहीं कह रहा है कि उसे अमेरिका या चीन में से किसी एक चुनना होगा। वैसे भी अभी अमेरिका से जो रिश्ता बना है, वह हलका ही है।

इसके बावजूद चीन सतर्क हुआ है। कुछ समय पहले इस्लामाबाद स्थित चीनी दूत ने एक वीडियो जारी कर अमेरिका को सलाह दी थी कि दूसरे देशों पर अंगुली उठाने के बजाय वह पाकिस्तान के लिए कुछ लाभकारी कदम उठाए। चीन की इस प्रतिक्रिया को देखते हुए यहां कूटनीतिक हलकों में यह अंदेशा पैदा हुआ है कि पाकिस्तान की स्थिति मौजूदा भू-राजनीति में बड़े देशों के बीच एक ‘फुटबॉल’ जैसी बन सकती है। वैसे पाकिस्तान में आम राय यही है कि चीन उसका ‘हर मौसम में खरा’ उतरा दोस्त है। इसलिए अमेरिका से संबंध सुधारने के क्रम में वह चीन को एक हद से ज्यादा नाराज नहीं कर सकता।