शिक्षा

एक या दो विषयों में हो गए फेल तो न घबराएं Uttarakhand Board Exam

एक या दो विषयों में फेल होने वाले विद्यार्थियों को अब उत्तराखंड बोर्ड बैक पेपर की सुविधा देने जा रहा है। बैक पेपर केवल दो विषयों में दिए जा सकते हैं, इसका प्रस्ताव बनाकर बोर्ड ने शासन को भेज दिया है। बोर्ड के इस प्रस्ताव पर कैबिनेट की मंजूरी शेष है। कैबिनेट से मंजूरी होने पर इस प्रक्रिया को लागू किया जाएगा।

उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद की जनवरी के अंतिम सप्ताह में परिषदीय बैठक में तय हुआ कि हाईस्कूल में दो विषय और इंटरमीडिएट में एक विषय में फेल होने पर विद्यार्थियों को बैक पेपर देने की सुविधा दी जाएगी ताकि एक या दो विषय में फेल होने वाले विद्यार्थियों का साल बच सके।

आमतौर पर बोर्ड परीक्षा अप्रैल में समाप्त हो जाती है और मई में परीक्षाफल घोषित होता है। परीक्षाफल घोषित के बाद जून में बैक पेपर के लिए विद्यार्थी आवेदन कर सकेंगे और बोर्ड की ओर से अगस्त माह में बैक पेपर कराया जाएगा ताकि विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रवेश करने में कोई समस्या उत्पन्न ना हो सके।

बोर्ड ने प्रस्ताव को शासन में भेज दिया है। सूत्रों की मानें तो प्रस्ताव पर शिक्षा मंत्री ने सहमति जता दी है। अब इस प्रस्ताव को कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा। प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद इस सुविधा को लागू किया जाएगा।

 

एक या दो विषय में फेल होने के बाद विद्यार्थी को दोबारा उसकी कक्षा में परीक्षा अगले वर्ष देनी होती है। ऐसे में उसका पूरा साल बर्बाद हो जाता है और वह अगली कक्षा में प्रवेश नहीं कर पाता है। ऐसे में अब बैक पेपर की सुविधा मिलने से उसका साल भी बचेगा और वह आसानी से अगली कक्षा में प्रवेश कर सकेगा। बोर्ड के इस प्रस्ताव से विद्यार्थियों को सबसे अधिक लाभ पहुंचेगा।उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद सालभर में बोर्ड परीक्षाओं के अलावा डीएलएड, यूटीईटी, जवाहर नवोदय, राजीव गांधी नवोदय सहित छह प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करता है। बैक पेपर को मंजूरी मिलती है तो फिर बोर्ड के सामने एक और परीक्षा कराने का दबाव बढ़ेगा। हालांकि यह सुविधा विद्यार्थियों के हित में है, लेकिन बोर्ड पर अतिरिक्त भार जरूर पड़ेगा। 

10वीं, 12वीं में फेल होने वाले विद्यार्थियों को बैक पेपर देने की सुविधा बोर्ड देने जा रहा है। परिषदीय बैठक कर एक प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया है। प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद लागू किया जाएगा।
– सीमा जौनसारी, निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, उत्तराखंड