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शिवराज का बड़ा चुनावी मास्टर स्ट्रोक:युवाओं को ट्रेनिंग के लिए 8 हजार रुपए महीना देगी सरकार, नजर 29 साल तक के 25 % वोटर्स पर

चुनावी साल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक के बाद एक मास्टर स्ट्रोक खेले जा रहे हैं। लाडली बहना योजना के बाद सीएम ने दूसरा दांव युवाओं पर खेला है। सीएम ने युवा कौशल कमाई योजना का ऐलान किया है। इसके तहत युवाओं को नौकरी लगने तक ट्रेनिंग के लिए 8 हजार रुपए हर महीने दिए जाएंगे। इस योजना का फायदा 29 साल तक के वोटर्स मिलेगा, जिनकी संख्या 1 करोड़ 40 लाख से ज्यादा है।

यदि बेरोजगारों के आंकड़े देखें तो शिक्षित बेरोजगार 37 लाख से ज्यादा हैं। सीएम शिवराज ने कहा है कि मप्र शासन की नौकरियों में एक साल में जितने चाहे फॉर्म भरें, फीस एक बार ही लगेगी। चुनाव से तीन महीने पहले ही युवाओं को यह राशि मिलने लगेगी। तीन महीने में कितने युवा भाजपा सरकार को दोबारा चुनते हैं यह तो नतीजे ही बताएंगे। फिलहाल जानते हैं क्या है युवा कौशल कमाई योजना और सरकार ने क्या कैलकुलेशन लगाकर यह योजना लॉन्च की है।

पहले जानिए, क्या है युवा कौशल कमाई योजना

ऐसे यूथ, जिन्हें 12वीं या ग्रेजुएशन के बाद जॉब नहीं मिली, उन्हें अलग-अलग फील्ड में ट्रेनिंग कराई जाएगी। ट्रेनिंग के दौरान ही 8 हजार रुपए महीना दिया जाएगा। 1 जून से यूथ पोर्टल (yuvaportal.mp.gov.in) पर रजिस्ट्रेशन शुरू हो जाएंगे। इसके बाद रजिस्ट्रेशन कभी कर सकते हैं, इसकी कोई समय सीमा नहीं है। 1 जुलाई से रजिस्ट्रेशन करने वाले बच्चों को पैसा मिलना शुरू हो जाएगा। इसके तहत 15 से 29 साल युवा पात्र होंगे।

अब 10 पॉइंट में समझिए, नई युवा नीति में आपके लिए और क्या है

1- युवा आयोग का पुनर्गठन व राज्य युवा सलाहकार परिषद का गठन

नीति के मुताबिक इस नीति का क्रियान्वयन करने के लिए सरकार युवा आयोग का पुनर्गठन करेगी। इसके साथ ही राज्य युवा सलाहकार परिषद का गठन भी किया जाएगा। इसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे। यह परिषद खेल एवं युवा कल्याण विभाग के अधीन काम करेगा।

युवा आयोग के पुनर्गठन के सवाल पर अरुण दीक्षित कहते हैं कि युवा आयोग ही नहीं, अन्य आयोग की स्थिति इतनी खराब है कि उनके पदाधिकारी अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बता दें कि कमलनाथ सरकार के दौरान युवा आयोग की कमान कांग्रेस नेता अभय दुबे को सौंपी गई थी। लेकिन 15 महीने की सरकार के दौरान इस आयोग ने कोई बड़ा बदलाव नहीं आया। बता दें कि मप्र में युवा आयोग का गठन 2012 में किया गया था। यह शिक्षा, खेल, संस्कृति एवं रोजगार से जुड़ी सिफारिशें करेगा।

2- वन टाइम एग्जाम फीस, कितने भी फॉर्म भरो एक बार ही पैसा देना होगा

अब केवल वन टाइम ही परीक्षा शुल्क देना होगा। अलग-अलग परीक्षा के लिए शुल्क देने की जरूरत नहीं होगी। अगर इंटरव्यू के लिए दिल्ली जाना पड़ेगा तो उन बच्चों को मध्यप्रदेश भवन में नि:शुल्क रहने की व्यवस्था की जाएगी। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम एक फैसला और कर रहे हैं, हमारे बच्चों को सरकारी नौकरियों के लिए फार्म भरने पड़ते हैं और अलग-अलग जगह परीक्षा शुल्क अलग-अलग लगता है। उन्होंने कहा कि अब केवल एक बार ही परीक्षा शुल्क जमा करना होगा। सभी परीक्षाओं में वो भाग ले सकेंगे। हर परीक्षा के लिए अलग-अलग शुल्क की जरूरत नहीं होगी।

3- ब्याज में सब्सिडी भी देगी सरकार

मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के तहत एक लाख से लेकर 50 हजार रुपए तक का लोन बैंक देगा। उस लोन को वापस करने की गारंटी मम्मी-पापा नहीं, गारंटी सरकार देगी। इंटरेस्ट में सब्सिडी भी देगी। ताकि आपको व्यवसाय और छोटे मोटे इंडस्ट्रीज के लिए पैसा चाहिए तो आपका काम हो जाए। मुख्यमंत्री मेधावी योजना की फीस की सीमा 6 लाख रुपए थी, इसे बढ़ाकर 8 लाख रुपए किया गया है।

4- कलाकारों को 3 हजार रुपए हर महीने फेलोशिप

जनजातीय लोक कला को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के 1 हजार कलाकारों को 3 हजार प्रतिमाह फेलोशिप दी जाएगी। मां तुझे प्रणाम योजना की तर्ज पर प्रदेश और संस्कृति को जानने के लिए युवा अनुभव यात्रा कराई जाएगी।

5- मेडिकल में हिन्दी की सीटें भी होंगी आरक्षित

ज्ञान और प्रतिभा होने के बावजूद अंग्रेजी के कारण परेशानी होती है। अंग्रेजी की ही बाध्यता होती थी। यह नहीं होने देंगे, इसलिए मध्यप्रदेश में मेडिकल की पढ़ाई, इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिन्दी भाषा में भी कराई जाएगी। चौहान ने कहा कि सारंग को निर्देश दिए कि मेडिकल कॉलेजों में हिन्दी की सीटों का भी रिजर्वेशन कर दो। उन्हें भी आरक्षण दिया जाएगा। नीट में सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए 5% आरक्षण देकर अलग से मेरिट लिस्ट बनाई जाएगी।

6- स्कूल-कॉलेजों में होगा बॉडी मास इंडेक्स

युवा नीति के मुताबिक स्कूल-कॉलेजों में बॉडी मास इंडेक्स (BMI) होगा यानी हर स्टूटेंड का उम्र के हिसाब से वजव व भोजन को माना जाएगा। एक ऐसा ही फॉर्मूला है, जो वजन तय करने के लिए कारगर है।

जानिए.. बीएमआई का क्‍या मतलब होता है और ये कैसे कैलकुलेशन करता है?

जानकार कहते हैं कि अगर आपका बीएमआई सही नहीं है, तो आपको डायबिटीज, स्‍ट्रोक, हाई ब्‍लड प्रेशर, हाई एलडीएल कोलेस्‍ट्रॉल, हार्ट डिजीज़ और ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसे स्‍वास्‍थ्‍य जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। ये 18 साल से अधिक उम्र के लोगों द्वारा उपयोग किए जाना उपयोगी माप है। इसके द्वारा ये पता लगाया जाता है कि आपके शरीर के हिसाब से आपका वजन और हाइट कितनी होनी चाहिए। इससे आपको पता चलता है कि आपका वजन कितना कम है, आपका ज्‍यादा वजन है या आपका सही वजन और हाइट कितनी होनी चाहिए।

7- विश्वविद्यालयों में खोले जाएंगे हेल्थ क्लीनिक

इसके पीछे मंशा यह है कि छात्र सुरक्षित और गोपनीयता के अभाव में स्टूडेंट डॉक्टर से एडवाइस लेने में हिचकिचाते हैं। ऐसे में उन्हें विश्वविद्यालय में ही छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग परामर्श केंद्र खोले जाएंगे। इसी तरह स्कूल- कॉलेजों में हेल्थ क्लब शुरू किए जाएंगे, जहां छात्रों के पोषण व स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों और कैंसर जैसे गंभीर बीमारियों के प्रति जागरूक किया जाएगा। इसके लिए उच्च शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग संयुक्त रूप से काम करेंगे।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने यूथ महापंचायत में आए स्टूडेंट्स पर फूल बरसाए। CM ने कहा- युवा नीति का उद्देश्य ऐसे युवाओं का निर्माण करना है जो अपनी संस्कृति एवं संस्कार के प्रति आदर से पूर्ण हों।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने यूथ महापंचायत में आए स्टूडेंट्स पर फूल बरसाए। CM ने कहा- युवा नीति का उद्देश्य ऐसे युवाओं का निर्माण करना है जो अपनी संस्कृति एवं संस्कार के प्रति आदर से पूर्ण हों।

8- उमंग स्कूल स्वास्थ्य और आरोग्य कार्यक्रम पाठ्यक्रम में शामिल होंगे

किशोरी व युवाओं के स्वास्थ्य मुद्दों को उमंग स्कूल स्वास्थ्य और आरोग्य कार्यक्रम को स्कूल व कॉलेजों के पाठ्यक्रम में एकीकृत किया जाएगा। इससे माहवारी, यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के साथ नशीलें पदार्थों की लत, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य आदि के संबंध में उम्र के अनुकूल स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान हो सके।

महावारी से जुड़ी सामाजिक कुरीतियों व भ्रांतियों का छात्राओं के स्कूल छोड़ने का मुख्य कारण होता है। ऐसे में शिक्षक व स्वास्थ्य कर्मी इसके प्रति जागरूक करने में अहम रोल अदा करेंगे। इसके लिए 10 से 19 साल की आयु तक की छात्राओं के शिक्षण संस्थानों में माहवारी स्वच्छता प्रबंधन को बढ़ावा दिया जाएगा।

9- खेलो एमपी यूथ गेम्स का आयोजन होगा, स्कूलों में खेल पीरियड अनिवार्य

खेलो इंडिया यूथ गेम्स की तर्ज पर मध्य प्रदेश में खेलो एमपी यूथ गेम्स का आयोजन किया जाएगा। जिस तरह से देश भर राज्य इंडिया यूथ गेम में हिस्सा लेते हैं। उसी तरह एमपी यूथ गेम्स में हर जिले के खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। बता दें कि हाल ही में हुए खेलो इंडिया यूथ गेम्स में मप्र 98 मेडल के साथ तीसरे नंबर पर रहा, जबकि महाराष्ट्र 161 मेडल जीतकर टॉप पर रहा। दूसरे नंबर पर रहे हरियाणा ने 128 मेडल जीते हैं।

10- 100 करोड़ से स्टूडेंट इनोवेशन फंड बनेगा

इस फंड से भाषाएं सीखने के लिए कोर्स शुरू कराए जाएंगे, ताकि अलग-अलग भाषाएं सीखकर जॉब लेने में आसानी हो। युवा अगर जर्मनी, जापानी सहित अन्य भाषाएं सीखना चाहेंगे, तो उसके लिए कोर्स शुरू करने की तैयारी है। फिलहाल यह फंड 100 करोड़ से शुरू किया जाएगा। इसके साथ ही जिला स्तर पर विवेकानंद युवा संसाधन केंद्र बनेंगे। इनमें सभी सुविधाएं, लाइब्रेरी, डिजिटल स्टूडियो, हॉस्टल, करियर गाइडेंस मिलेगा।

बेरोजगारी भत्ता देने जैसी योजना

शिवराज ने कहा-बेरोजगारी भत्ते से काम नहीं चलता। हम युवाओं को खैरात नहीं देना चाहते। हम बच्चों को वो सिखाएंगे, जिसकी इंडस्ट्री को जरूरत होगी। जब वे ट्रेनिंग लेंगे, तब तक उन्हें न्यूनतम 8 हजार रुपए तो देंगे ही, उस अवधि में कंपनी अलग से पैसा देगी, लेकिन वरिष्ठ पत्रकार अरुण दीक्षित इससे इत्तेफाक नहीं रखते। वे कहते हैं कि यह चुनावी घोषणा है, क्योंकि सरकार की मंशा इससे ही पता चलती है कि बेरोजगारों को नौकरी दिलाने के लिए एक प्राइवेट प्लेसमेंट एजेंसी को काम दिया था। इस एजेंसी ने दो साल में मात्र 4433 को ही रोजगार दिलाया। सरकार ने इस एजेंसी को 4 करोड रुपए से ज्यादा का भुगतान किया है।

चुनाव से तीन महीने पहले पहली किस्त मिलेगी

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर माह में होने की संभावना है। मुख्यमंत्री युवा कौशल कमाई योजना के तहत बेरोजगारों को ट्रेनिंग के लिए 8-8 हजार रुपए की पहली किस्त 1 जुलाई से मिलना शुरू हो जाएगी यानी चुनाव से ठीक तीन महीने पहले। पत्रकार अरुण दीक्षित कहते हैं कि यह बिल्कुल सही है कि आज के समय में ट्रेनिंग के लिए इतना बहुआयामी माहौल है कि हर सेक्टर में ट्रेंड वर्कर की जरूरत है, लेकिन प्रदेश में जितने नए उद्योग लगे, उन्होंने जितना रोजगार उपलब्ध कराया, उसका आंकड़ा बहुत कम है। वे मानते हैं कि सरकार बेरोजगारों को भत्ता देती तो बेहतर होता, जिसकी एक समय सीमा तय की जा सकती थी। यह रोजगार की स्थाई व स्पष्ट नीति नहीं है। हां ट्रेनिंग के लिए राशि देने का काम 3 साल पहले करते तो अब तक 3 लाख बेरोजगार अपने पैर पर खड़े हो जाते।

एक बेरोजगार पर हर साल 96 हजार रुपए खर्च करेगी सरकार

शिवराज ने कहा कि रोजगार आज की सबसे बड़ी जरूरत है। एक लाख 24 हजार पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चल रही है पर सरकारी नौकरियों की एक सीमा है, इसलिए स्वरोजगार के लिए युवाओं को न केवल प्रेरित किया जा रहा है, बल्कि उन्हें बैंकों से लोन दिलाने में हर संभव मदद भी की जा रही है। सोचा यह भी काफी नहीं है, इसलिए युवाओं को हुनरमंद बनाकर अपने पैरों पर खड़ा करने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया जा रहा है। इस योजना के तहत एक युवा की ट्रेनिंग पर सरकार हर साल 96 हजार रुपए खर्च करेगी।

57 हजार को देना था प्लेसमेंट, केवल 4433 को दिया

मध्य प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिलाने के नाम पर यशस्वी फाॅर टैलेंट मैनेजमेंट कंपनी को राज्य सरकार की ओर से चार करोड़ 17 लाख 75 हजार रुपए का भुगतान कर दिया गया। कंपनी को 57 हजार 848 बेरोजगार आवेदकों को रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन महज 4433 बेरोजगारों के प्लेसमेंट ही सही पाए गए।

यह जानकारी बजट सत्र के दौरान विधानसभा में विधायक जीतू पटवारी के प्रश्न के लिखित्त उत्तर में मंगलवार को खेल एवं युवा कल्याण मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने दी। मंत्री ने बताया कि कैबिनेट के निर्णय के बाद मई 2018 में यशस्वी एकेडमी फाॅर टैलेंट मैनेजमेंट कंपनी को 15 रोजगार कार्यालयों के संचालन का कार्य दिया था।