विधानसभा चुनाव से पहले मध्यप्रदेश के 70 हजार बिजलीकर्मी शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे। पेंशन, ट्रांसफर, इंश्योरेंस समेत 8 मांगों को लेकर वे ड्यूटी नहीं करेंगे। इससे आम लोगों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। न तो बिजली लाइन के फॉल्ट सुधरेंगे और न ही शिकायतें दूर होंगी। नए कनेक्शन, बिजली बिल वितरण, रीडिंग भी नहीं हो सकेंगी। प्रदेश के 52 हजार पेंशनर्स भी हड़ताल के दौरान प्रदर्शन करेंगे। वहीं, हड़ताल रोकने के लिए 3 महीने तक एस्मा लागू कर दिया गया है।
बता दें कि 2 अक्टूबर को बिजलीकर्मियों ने गोविंदपुरा में गांधी प्रतिमा के सामने उपवास और भजन-कीर्तन भी किए थे। उन्होंने 6 अक्टूबर को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने ऐलान किया था। इसके बाद यूनियन पदाधिकारियों की पॉवर मैनेजमेंट कंपनी के प्रबंध संचालक के साथ बैठक भी हुई थी, लेकिन तीन दौर की बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंची। इसके चलते अब वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
इन संगठनों के आह्वान पर हड़ताल करेंगे
यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्प्लाइज एवं इंजीनियर्स के अध्यक्ष वीकेएस परिहार ने बताया कि बिजली कंपनी के प्रमुख संगठन यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्प्लाइज एवं इंजीनियर्स, मध्यप्रदेश विद्युत मंडल अभियंता संघ, पावर इंजीनियर्स एवं एम्प्लाइज एसोसिएशन (PEEA) ने विद्युत क्षेत्र को बचाने एवं नियमित, संविदा, आउटसोर्स, पेंशनर्स के हितों की रक्षा के लिए संयुक्त रूप से लड़ने का निर्णय लिया है। इसके चलते हर जिले में जिला प्रभारी भी नियुक्त किए हैं।
कलेक्टरों को दिया हड़ताल का नोटिस
बिजली संयुक्त संगठन के प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि हड़ताल के संबंध में प्रदेश के सभी कलेक्टरों को नोटिस दिए हैं। हड़ताल संगठनों ने एसओपी भी जारी की है। आठ सूत्रीय मांगों को लेकर यह हड़ताल शुरू की जा रही है।
बिजलीकर्मियों के लिए 3 महीने का एस्मा
मध्य प्रदेश सरकार ने तीनों विद्युत वितरण कंपनियों और पावर ट्रांसमिशन और जनरेशन कंपनियों के कर्मचारियों की सेवा को अतिआवश्यक घोषित करते हुए एस्मा लागू कर दिया है। ये कर्मचारी अब कार्य से इनकार नहीं कर सकेंगे। यह आदेश तीन महीने के लिए लागू किया गया है। गृह विभाग के उपसचिव ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं। इसमें ऊर्जा विभाग की सभी छह कंपनियों को शामिल किया गया है, जिसमें एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी जबलपुर, मध्य प्रदेश पूर्व, पश्चिम और मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी जबलपुर, इंदौर और भोपाल, मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन और पावर जनरेशन कंपनी जबलपुर के नियमित, संविदा और आउटसोर्स कर्मचारी की सेवाएं शामिल हैं।
यूनाइटेड फोरम अध्यक्ष बोले-डरने की जरूरत नहीं है
यूनाइटेड फोरम के अध्यक्ष व्हीकेएस परिहार का कहना है कि यूनाइटेड फोरम, अभियंता संघ एवं पावर इंजीनियर एंड एम्पलाई संगठन द्वारा मांगों के संबंध में आज अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार का आह्वान किया है। एस्मा लगाकर शासन डराना चाहता है। इससे डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। हम अपने कार्य बहिष्कार में सफल होते हैं तो शासन प्रशासन को झुका कर भी हम अपनी मांगों की पूर्ति करा सकते हैं।
हड़ताल से इन कामों पर असर
- राजस्व वसूली नहीं होगी।
- नए मीटर के कनेक्शन नहीं होंगे।
- बिजली उपभोक्ताओं की कंप्लेंट अटैंड नहीं होगी।
- बिजली के किसी भी सुधार संबंधित कार्य नहीं होंगे।
- नए कनेक्शन में सर्वे का काम नहीं होगा।
- मीटर रीडिंग नहीं हो सकेगी।
- बिजली के बिल वितरण नहीं होंगे।
- ऑफिस संबंधित सभी काम प्रभावित होंगे।
पावर हाउस ड्यूटी भी नहीं करेंगे
- बिजलीकर्मी पावर हाउस ड्यूटी नहीं करेंगे। सभी लोग टेंट लगाकर पावर हाउस के सामने बैठेंगे।
- मेंटेनेंस/ऑफिस के अधिकारी-कर्मचारी भी पावर हाउस के सामने बैठेंगे और कोई काम नहीं करेंगे। इस दौरान अपने मोबाइल भी बंद रखेंगे।
- सभी अधिकारी-कर्मचारी ऑफिस के सामने धरने पर बैठेंगे।
ये हैं मांगें…
- ज्वॉइंट वेंचर एवं टीबीसीबी वापस लें।
- पेंशन की सुनिश्चित व्यवस्था, कंपनी नियुक्त कर्मियों को पुरानी पेंशन, डीआर और चतुर्थ वेतनमान के आदेश जारी किए जाएं।
- सातवें वेतनमान में 3 स्टार मैट्रिक्स विलोपित किया जाए।
- संविदा का नियमितिकरण एवं सुधार उपरांत वर्ष 2023 संविदा नीति लागू करें।
- आउटसोर्स की वेतनवृद्धि के साथ 20 लाख का दुर्घटना बीमा एवं 3 हजार रुपए जोखिम भत्ता दें।
- कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर कर मूल वेतन 25300/- से अधिक किया जाए। वर्ष 2018 के बाद के कनिष्ठ अभियंताओं की वेतन विसंगति दूर की जाए।
- उच्च शिक्षा प्राप्त कनिष्ठ अभियंताओं को सहायक अभियंता एवं कर्मचारियों को कनिष्ठ अभियंता की नियुक्ति हेतु नीति बनाई जाए। ट्रांसमिशन में आईटीआई कर्मचारियों को क्लास 4 की जगह क्लास 3 में रखा जाए।
- अन्य मांगें जैसे सभी वर्गों की वेतन विसंगतियां, अनुकंपा नियुक्ति में मध्यप्रदेश शासन अनुसार नीतियों में सुधार, कैसलेस मेडिक्लेम पॉलिसी, गृह जिले में स्थानांतरण, संगठनात्मक संरचना का पुनर्निरीक्षण एवं अन्य।