प्रकाश त्रिवेदी की कलम से

* रेलवे की रेलमपेल… *

सिंहस्थ कार्यो की विकास यात्रा में रेल गायब है। रेलवे की प्राथमिकता में सिंहस्थ नहीं है। अभी तक किसी को भी यह पता नहीं है कि सिंहस्थ में यात्री सुविधा के लिए रेलवे क्या करेगा। कागजो पर प्लान तो है पर उस पर गतिमान के युग में छुक छुक गाड़ी की तरह अमल हो रहा है। रेल मंडल रतलाम के अधिकारी कुछ भी बताने को तैयार नहीं है। कुरेदने पर पता चलता है की बड़े अधिकारियो की सिंहस्थ में कोई रूचि नहीं है । रेलवे का राज्य सरकार और मेला प्रशासन से समन्वय भी नहीं है। रेल प्रशासन की नज़र में उज्जैन का स्टेशन कमाऊ पूत नहीं है इसलिए यहाँ की जरुरतो की अनदेखी की जाती है । उज्जैन फतेहाबाद गेज परिवर्तन मामले में रतलाम मंडल और पश्चिम रेलवे की भूमिका दुराग्रह पूर्ण ही रही है। सिंहस्थ को लेकर भी यही धरणा है। रेलवे के आला अधिकारियो का मत है कि हमारा काम यात्रियों की सिर्फ ढोना है। यात्रीयो को जल्द से जल्द किस तरह रेल एरिया से बाहर किया जाय और बाकी जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन पर डाल दी जाय यही रेलवे की रणनीति है। रेलवे के आला अधिकारी सिर्फ महाकाल दर्शन के लिए दौरे बनाते है उन्हें काम होने या ना होने से कोई लेना देना नहीं है।
सिंहस्थ के लिए रेलवे ने मेला अधिकारी बनाया है योजनाए भी बनाई है कुछ काम हुआ भी है परंतु पहली बार विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन के प्रति इतनी उदासीनता है। 1992 और 2004 में रेल प्रशासन ने उम्दा काम किया था। स्थानीय रेलकर्मी भी आला अफसरों के रवैये से हैरान है।
यात्री सुविधा के नाम पर प्लेटफार्म पैदलपुल टॉयलेट टिकट खिड़की हाल्ट स्टेशन आगमन और निर्गम के मार्ग यात्री सुरक्षा आपदा प्रबंधन पूछताछ जैसे कामो में नाम मात्र का काम हुआ है। अधोसरंचना पर कुछ कहना ही बेकार है। लापरवाही का आलम यह है कि रेलवे ने सिंहस्थ की योजना बनाते समय ना सांसदो एवं जनप्रतिनिधियो से बात की ना सलाहकार समितियों को तब्बजो दी। और तो और मिडिया से भी दुरी बनाकर रखी।
अब सिंहस्थ सर पर है 50 लाख यात्री रेल मार्ग से आ सकते है। रेलवे प्रशासन पर नकेल लगाने की जरुरत है। रेल मंत्री जी को ज़ोनल और मण्डल के अधिकारियो के चलताऊ रवैये से अवगत कराया जाना चाहिए। रेल अधिकारियो की जिम्मेदारी जबाबदेही भी तय होना चाहिए । हमारे पास लोकसभा अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री राज्यसभा सदस्य लोकसभा सदस्य सब है फिर भी सिंहस्थ कार्यो के प्रति ऐसी अनदेखी गंभीर मामला है।