देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम से

खाट,खटमल,और राहुल गांधी की यात्रा।

कांग्रेस का मतदाता खाट में खटमल की तरह होता है जब तक पूरी खाट ना जल जाये वो खाट से ही चिपका रहता है। एक जमाने में कांग्रेस के वोटबैंक पर यह ललित टिप्पणी खासी प्रचलित थी। यूपी चुनाव में कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने इस पुरानी धारणा को लपक कर खाट सभा का फार्मूला ईजाद किया। इसकी सफलता अभी आंकी जाना है,लेकिन खाट सभा के बाद खाट को लेकर जो लूट खसोट हुई वह सन्देश देती है कि यूपी में कांग्रेस की खाट बिछने वाली नहीं है।

राहुल गांधी सपा,बसपा,भाजपा,की खाट खड़ी करने निकले है उनकी ही खाट भाई लोग ले उड़े। देवरिया से दिल्ली दूर है अभी बहुत कुछ सामने आना बाकी है। यूपी के 40 जिलों से गुजरकर राहुल को राजनीति के कई सबक सीखना है।
कभी यूपी कांग्रेस का दीवाना था। बेवफाई किसने की यह सब जानते है। अखिलेश के युवा नेतृत्व को ललकारने खुद राहुल आये है यह इस बात का संकेत है कि पार्टी का आत्मविस्वास डंवाडोल है।
राज बब्बर में अब मास अपील नहीं रही। शीला की लीला कांग्रेसी ही नहीं पचा पा रहे है। यूपी में कांग्रेस के साथ रहे मुसलमान, ब्राह्मण,दलित राहुल और उनकी टीम पर भरोसा नहीं कर पा रहे है।
अलबत्ता किसान भी राहुल की यात्रा की टाइमिंग को लेकर हैरत में है फसल काटने,बेचने का समय है इन दिनों कोन उनका भाषण सुनेगा।
यूपी के सियासी मकड़जाल को समझे बिना प्रशान्त किशोर मनमाने निर्णय ले रहे है जमीनी हकीकत को जानने वाले नेता दूर है,उनकी सुनवाई नहीं हो रही है।
बहरहाल खाट सभा हो या विकास यात्रा या राहुल की किसान यात्रा सब के सब यूपी में सिर्फ राजनीतिक नौटंकी से ज्यादा कुछ नहीं है।
यूपी में संगठन पर काम होना चाहिए,बूथ पर कार्यकर्त्ता होना चाहिए, मजबूत उम्मीदवार चाहिए, इन सब के ऊपर प्रियंका गांधी की सक्रीय भागादारी भी चाहिए। तभी यूपी में कांग्रेस का अभ्युदय हो सकता है।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline