प्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेश

भाजपा कार्यसमिति- कैलाश के पंचम सुर में विनय सहस्रबुद्धे का ख्याल गायन।

ग्वालियर। तानसेन की नगरी में भाजपा के सुर ताल गड़बड़ा गए है। कैलाश विजयवर्गीय के पंचम सुर के बाद प्रदेश के प्रभारी विनय सहस्रबुद्धे ने भी सूक्ति में अपना ख्याल गायन प्रस्तुत कर दिया। इधर मंत्री गोपाल भार्गव के पुत्र राग भैरव में अपना आलाप जारी रखे हुए है। मुख्यमंत्री की गैरहाजिरी में ग्वालियर घराने के नरेन्द्रसिंह तोमर अपनी बंदिश ही भूल गए।

विनय सहस्रबुद्धे ने कैलाश विजयवर्गीय के तंत्र पर किए ट्वीट का प्रकारांतर से समर्थन कर यह यह जता दिया की वे भी प्रदेश की राजनीति में दखल रखना चाहते है। अब तक उनका निरपेक्ष भाव उनको अन्य नेताओं से अलग करता था।
दीनदयाल उपाध्याय के एकात्मक मानवतावाद पर केंद्रीय एवं मोदी जी के गरीब एजेंडे के इर्द गिर्द होने वाली प्रदेश कार्यसमिति तंत्र के हावी होने और मन्त्र के भुलने पर केंद्रित हो गईं है। शिवराज की गैरहाजिरी में उनके सिपहसालार बैठक को कब्जे में नही ले पाए।
नए संगठन महामंत्री सुहास भगत सुरताल के गड़बड़ाने पर सक्रीय तो हुए पर कद्दावर नेताओ के सामने वे बोने नजर आए। प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान को पहली बार लगा होगा कि वे तभी अध्यक्ष समझे जाते है जब शिवराज होते है।
लाख टके का सवाल है तंत्र किसके इशारे पर पावरफूल हुआ है,तंत्र किसकी सुन रहा है,तंत्र को नियंत्रित करने का मन्त्र किसके पास है?। यदि संगठन यह मान रहा है कि तंत्र हावी है तो वो अब तक क्या कर रहा था?। 13 साल की सरकार में अब पता चला कि तंत्र हावी है।
शिवराज की गैरहाजिरी में यह मुद्दा उठना कितना सही है,क्या यह पूर्व नियोजित रणनीति है या तात्कालिक प्रतिक्रिया। बैहर में एक प्रचारक के साथ मारपीट से उपजी हताशा के कारण संघ परिवार में सुरताल बिगड़ना शुरू हुए है।
हालांकि सरकार ने तत्काल करवाई की है लेकिन सत्ता प्रतिष्ठान पर नजर जमाए नेता मौका खोना नहीं चाहते थे,लिहाजा उन्होंने मोदी जी के गरीब एजेंडे की ऊपर तंत्र के हावी होने के मुद्दे को तरजीह दी।
बहरहाल मध्यप्रदेश में सत्ता संघर्ष शुरू हो चूका है अपने 11 साल पूरे कर रहे शिवराज के लिए अब सब कुछ ठीक नहीं है। ग्वालियर में शिवराज के क्षत्रप भी अनमने से नजर आए।
भोपाल की जंग में अनायास ही विनय सहस्रबुद्धे के आ जाने से इसमें दिल्ली की रूचि भी दिखाई देने लगी है। संघ अभी चुप है उसे भी व्यापम,और ना जाने कोन कोन से घाव याद आ रहे है। लगता है सबका बदला सबका विकास तभी आएगा रामराज की तर्ज पर तख्तापलटने की तैयारी है।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline