प्रकाश त्रिवेदी की कलम सेभोपालमध्य प्रदेश

बेदाग बी.पी.सिंह के आने से बढेगा कई अफसरों का बीपी।

भोपाल। ईमानदार और प्रैक्टिकल दोनों एक साथ होना दुर्लभ होता है ,लेकिन मध्यप्रदेश के नए मुख्यसचिव बसंतप्रताप(बी.पी) सिंह में यह दोनों गुण एक साथ है। बेदाग बी.पी.सिंह के प्रशासनिक मुखिया बनने से कई अफसरों का बीपी बढ़ना तय है। अपनी निस्पृह कार्यशैली के लिए ख्यात सिंह को काम से काम रखने वाला अफसर माना जाता है। हालांकि उनकी नियुक्ति में इलाहबाद क्लब और बीएचयू में दीक्षित एक बड़े संघ पदाधिकारी की भूमिका भी चर्चा में है।
निर्वतमान मुख्यसचिव अन्टोनी डी सा का विकल्प चुनना मुख्यमंत्री शिवराज के लिए आसान नहीं था। उनकी डी सा के साथ जबरजस्त ट्यूनिंग थी और वे डी सा के साथ खुद को सहज पाते थे।
पिछले एक माह से शिवराज असमंजस में थे,वे डी सा की सेवा वृद्धि के पक्ष में थे लेकिन मनमौजी डी सा इसके लिए तैयार नहीं थे। फिर अन्य नामो पर विचार हुआ, सुधीर रंजन मोहंती पर आरोप है,अन्य समकक्ष अधिकारियो की कार्य निष्पादन क्षमता एवं कार्यशैली बाबूटाईप की होने से उनपर भरोसा करना मुश्किल था।
शिवराज के भरोसेमंद इक़बाल सिंह बैस जूनियर थे बाकी दिल्ली से आना नहीं चाहते थे।
ग्लोबल समिट के बाद शिवराज की तिकड़ी ने मोहंती के लिए खूब कौशिश की, उन्हें प्रशासनिक और न्यायालीन राहत भी मिली पर दिग्विजय सिंह के खास अफसर के ठप्पे ने उन्हें दौड़ से बाहर कर दिया।
प्रशासनिक अफसरों के इलाहाबाद क्लब की नज़र पुरे घटनाक्रम पर थी यही से उसने काम शुरू किया।
राजनाथ सिंह के कनेक्शन को सक्रिय किया गया, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में पढ़े एक वरिष्ठ संघ पदाधिकारी से बात हुए और अन्तः वरिष्ठता,ईमानदारी,बेदाग कार्यकाल तथा दार्शनिक पृष्ठभूमि के कारण शिवराज ने बी.पी. सिंह को मुख्यसचिव बनाना स्वीकार कर लिया।
प्रदेश के प्रशासनिक इतिहास में पहलीं बार इस पद के लिए इतना राजनीतिक असमंजस देखा गया।
स्वयं बी.पी सिंह मानसिक रूप से तैयार नहीं दिखे।
कार्यभार ग्रहण के अवसर पर उन्होंने अपनी आदत के विपरीत बहुत विन्रमता से मीडिया से बात की और सरकार की असमंजसता पर तंज भी कसा की यदि मुझे पहले से पता होता तो में अपनी कार्यशैली में कुछ बदलाव लाता।
बहरहाल प्रदेश मुखिया शिवराज और प्रशासन के मुखिया बी.पी.सिंह दोनों ही दर्शनशास्त्र के स्कॉलर है,प्रदेश में नौकरशाही के हावी होने की शिकायत संघ और संगठन दोनों से आ रही है ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा की दोनों के दर्शन में कितना साम्य नज़र आता है।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline.com