देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम सेभोपालमध्य प्रदेश

मुकद्दर के सिकंदर है शिवराज।

भोपाल। यूपी चुनाव में भाजपा की महाविजय के बाद,अचानक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की रवानगी की खबरे मीडिया और सोशल मीडिया में परवान चढ़ी है। पार्टी के अंदर और बाहर उनके विरोधी बड़े करीने से मध्यप्रदेश में बदलाव की खबर चला रहे है।जबकि पार्टी के अंदरखाने की खबर है,की शिवराज कही नहीं जा रहे है। उनके नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव लड़ा जायेगा।
संघ और संगठन से जुड़े निकटवर्ती सूत्र बताते है कि शिवराज को लेकर मोदी के सारे संशय दूर हो चुके है। शिवराज ने मोदी के दरबार में अपनी वफ़ादारी साबित कर दी है। शिवराज के पास संघ का अंडरट्रेकिंग भी है।

संघ सूत्र बताते है कि 21,22,23, मार्च को कोयंबटूर में संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक हो रही है। इस बैठक में यूपी महाविजय और गोवा चुनाव में भाजपा को हुए नुकसान पर भी चर्चा होगी। साथ ही 2019 के लिए मुद्दे,कार्यक्रम,और रुपरेखा भी तय की जायेगी।
इसी बैठक में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल, राजस्थान, गुजरात के विधानसभा चुनावों पर भी गहन चर्चा होगी।

गोवा में मनोहर पर्रिकर की वापसी प्रकरण की प्रत्याशा में भाजपा को यह सीख भी दी जायेगी कि अनावश्यक रूप से राज्यो के लोकप्रिय नेतृत्व को डिस्टर्ब न किया जाए। अन्यथा परिणाम प्रभावित हो सकते है।
गोवा प्रकरण में एक संदेश यह भी आया हैं कि संघ के तपे तपाए प्रचारकों को कम न आँका जाए।

गोवा प्रकरण से शिवराज और मजबूत होकर उभरेंगे। भाजपा नेतृत्व अब उनकी वापसी या रवानगी के किसी भी अभियान पर कान नहीं देंगा।
यद्धपि कतिपय विरोधी अब भी निराश नहीं है वे अमित शाह,और मोदी के दरबार के कनखजुरियों के साथ लगातार शिवराज को अस्थिर करने की कोशिश जारी रखेंगे।

बहरहाल शिवराज खतरे के बाहर है। उनके नेतृत्व को कोई चुनोती भी नहीं है। यूपी महाविजय ने भले ही उनके विरोधियों को अवसर दिया हो पर गोवा प्रकरण ने उन्हें फिर संजीवनी प्रदान कर दी है। शिवराज मुकद्दर के सिकंदर है।

प्रकाश त्रिवेदी@samacharline